क्या ट्रंप की नीतियाँ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को संकट में डालेंगी?
ट्रंप का राष्ट्रपति बनने के बाद का बदलाव
जनवरी में पुनः राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार चुने जाने के बाद, ट्रंप ने देश को आर्थिक पुनरुत्थान का आश्वासन दिया। उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए पूर्व प्रशासन की नीतियों को पलटने का कार्य किया। अप्रैल में, ट्रंप ने नई टैरिफ नीति की घोषणा की, जिससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें एक सप्ताह के भीतर इन टैरिफ पर तीन महीने के लिए रोक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अमेरिकी वित्तीय आंकड़ों की चिंताजनक तस्वीर
हाल के अमेरिकी वित्तीय आंकड़े गंभीर चेतावनी दे रहे हैं।
वित्तीय संकेतकों की बाढ़ ने संभावित रूप से चिंताजनक स्थिति का संकेत दिया है। रोजगार के अवसर घट रहे हैं और मुद्रास्फीति में वृद्धि हो रही है। पिछले वर्ष की तुलना में विकास दर में कमी आई है। ट्रंप के कार्यकाल के छह महीने बीतने के बाद, उनके द्वारा लागू की गई टैरिफ और नए कर एवं व्यय विधेयक ने कई बदलाव लाए हैं।
उन्होंने अमेरिका की व्यापार, विनिर्माण, ऊर्जा और कर प्रणालियों को अपने अनुसार ढाल दिया है। वे किसी भी संभावित सफलता का श्रेय लेने के लिए तत्पर हैं और यदि आर्थिक स्थिति बिगड़ती है, तो वे दूसरों पर दोष डालने से नहीं चूकते। हालांकि, अभी तक वह आर्थिक सुधार की गति नहीं दिखाई दी है, जिसका वादा ट्रंप ने किया था।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव
भारत और रूस के साथ बढ़ते मतभेद।
ट्रंप ने विश्व की अन्य महाशक्तियों, विशेषकर रूस के साथ अपने संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है। उन्होंने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जो कि अमेरिका का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक सहयोगी है। इसके अलावा, ट्रंप यूरोपीय संघ पर भी दबाव बनाने के लिए लगातार टैरिफ की धमकी दे रहे हैं, जो भविष्य में अमेरिका के लिए आर्थिक दृष्टि से हानिकारक साबित हो सकता है।