क्या तेजस्वी यादव की यात्रा से बिहार में बदलेंगे राजनीतिक समीकरण? जानें पूरी कहानी
राहुल गांधी की बिहार रैली और महागठबंधन की रणनीति
राहुल गांधी बिहार रैली: साल 2024 में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दूसरे चरण में सासाराम पहुंचे, तब तेजस्वी यादव ने अपनी लाल जीप चलाकर यह संकेत देने का प्रयास किया कि महागठबंधन की राजनीति की 'ड्राइविंग सीट' राजद के पास है। इस वर्ष भले ही विपक्षी दलों के बीच नेतृत्व को लेकर कुछ खींचतान रही हो, लेकिन अब जब मतदाता अधिकार यात्रा की शुरुआत हो रही है, राजद ने अपने प्रचार गीत के माध्यम से फिर से वही संदेश दिया है कि बिहार में विपक्ष की धुरी वही है।
मतदाता अधिकार यात्रा का आरंभ और संदेश
यात्रा का आरंभ:
आपको जानकारी दे दें कि इस बार भी यात्रा की शुरुआत सासाराम से हो रही है, जहां तेजस्वी और राहुल एक साथ निकले। यह केवल एक राजनीतिक संयोग नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक योजना का हिस्सा है। यात्रा उन क्षेत्रों से गुजरेगी जिन्हें महागठबंधन अपनी राजनीतिक जमीन मानता है। पहले की यात्राओं में भी इन्हीं इलाकों पर जोर दिया गया था और चुनावी नतीजों में इसका प्रभाव भी देखा गया था। यही कारण है कि इस बार भी इन क्षेत्रों को चुना गया है, ताकि पहले की सफलता को दोहराया जा सके।
भारत जोड़ो न्याय यात्रा और उसका प्रभाव
यात्रा का प्रभाव:
वास्तव में, राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा दो चरणों में संपन्न हुई थी। पहले चरण में उन्होंने सीमांचल के लोकसभा क्षेत्रों (किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, अररिया) का दौरा किया, जबकि दूसरे चरण में सासाराम, औरंगाबाद, काराकाट और बक्सर जैसे क्षेत्र शामिल थे। इन क्षेत्रों में महागठबंधन का प्रदर्शन काफी प्रभावशाली रहा। कांग्रेस ने तीन सीटें, राजद ने दो, और एक सीट भाकपा (माले) ने जीती। इसका राजनीतिक संदेश स्पष्ट था कि यात्राएं विपक्षी एकता को मजबूत करती हैं और जमीनी मुद्दों को केंद्र में लाती हैं।
राहुल और तेजस्वी की भूमिकाएं
भूमिकाओं का स्पष्ट विभाजन:
इस बार की मतदाता अधिकार यात्रा में भूमिकाएं स्पष्ट हैं। राहुल गांधी रणनीतिक नेतृत्व यानी चाणक्य की भूमिका में हैं, जबकि तेजस्वी यादव ज़मीनी योद्धा यानी चंद्रगुप्त की भूमिका में नजर आएंगे। तेजस्वी अब तक पांच बड़ी यात्राएं कर चुके हैं, जो सीधे जनता से जुड़ने के लिए की गई थीं। उनकी 'बेरोज़गारी हटाओ यात्रा' ने युवाओं को खासा आकर्षित किया था, जिससे 2020 के चुनावों में उन्हें युवा मतदाताओं से बड़ा समर्थन मिला।
यात्राओं का प्रभाव और लोकप्रियता
यात्राओं का महत्व:
तेजस्वी यादव की यात्राओं को विपक्ष भले ही 'आधी-अधूरी' कहता रहा हो, लेकिन राजद के लिए ये यात्राएं संगठन के विस्तार और तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ाने में बेहद कारगर साबित हुई हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में 18-39 वर्ष की आयु वाले मतदाताओं में महागठबंधन को 47% समर्थन मिला, जबकि एनडीए को केवल 34-36% मिला। यही नहीं, पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं ने 'जंगलराज' की बहस से इतर रोजगार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी।
घोषणापत्र और सरकारी अमल
घोषणापत्र का समर्थन:
तेजस्वी की 'जन संवाद यात्रा' के जरिए तैयार घोषणापत्र को भी जनता से अच्छा समर्थन मिला। इस यात्रा का समापन नालंदा में हुआ, जहां उन्होंने रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को लेकर समावेशी विकास का खाका प्रस्तुत किया। सरकार ने इन घोषणाओं में से कई को लागू भी किया है और कुछ पर अमल शुरू हो चुका है।
सरकार की नीतियों पर तेजस्वी का प्रभाव
सरकार की नीतियों की नकल:
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन का मानना है कि तेजस्वी की यात्राओं की सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि आज खुद सरकार उनके वादों को दोहराने पर मजबूर है। उनके अनुसार, सरकार पर इतना दबाव बन गया है कि उसे तेजस्वी की नीतियों और योजनाओं की नकल करनी पड़ रही है। यह इस बात का संकेत है कि जनमानस में तेजस्वी की पकड़ मजबूत होती जा रही है।