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क्या बी सुदर्शन रेड्डी का नामांकन विपक्ष का मास्टरस्ट्रोक है?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को उप राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का उम्मीदवार बनाया गया है। इस कदम को लेकर राजनीतिक विश्लेषक इसे मास्टरस्ट्रोक या मूर्खता मान रहे हैं। चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार को वोट देंगे। क्या यह कदम विपक्ष के लिए फायदेमंद होगा या नुकसानदायक? जानें इस लेख में।
 

विपक्ष का नया उम्मीदवार

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी, जो एकीकृत आंध्र प्रदेश में जन्मे और तेलंगाना में निवास करते हैं, को विपक्ष ने उप राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि क्या यह विपक्ष की चूक है या एक रणनीतिक चाल। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता इसे मास्टरस्ट्रोक मानते हुए सोशल मीडिया पर इसे बढ़ावा दे रहे हैं। कई यूट्यूब चैनलों ने इस पर कार्यक्रम बनाकर लाखों व्यूज प्राप्त किए हैं। कुछ का कहना है कि इससे चंद्रबाबू नायडू और नरेंद्र मोदी की स्थिति कमजोर हो जाएगी।


हालांकि, चंद्रबाबू नायडू और वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को वोट देंगे। बी सुदर्शन रेड्डी के नामांकन के बाद भी उनके इस रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।


यह संभव है कि तेलंगाना में बीआरएस के सांसद सुदर्शन रेड्डी को वोट दें, लेकिन इससे चुनाव परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया था, जबकि विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को। फिर भी, झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम ने भाजपा की उम्मीदवार को वोट दिया।


इसलिए, बीआरएस के चार सांसदों को मजबूर करके विपक्ष को कोई लाभ नहीं होगा। अगर जगन और चंद्रबाबू विपक्ष के उम्मीदवार को वोट नहीं देते हैं, तो क्या तेलुगू लोग कांग्रेस को वोट देंगे? वर्तमान स्थिति में, चंद्रबाबू की सत्ता जाएगी और जगन को मिलेगी, जबकि दोनों नरेंद्र मोदी के साथ रहेंगे। हालांकि, इस कथित मास्टरस्ट्रोक ने डीएमके को दुविधा में डाल दिया है।


आंध्र प्रदेश में चुनाव चार साल बाद हैं, लेकिन तमिलनाडु में अगले आठ महीनों में चुनाव होने हैं। यदि एमके स्टालिन की पार्टी पिछड़ी जाति के राधाकृष्णन के खिलाफ वोट डालती है, तो इसका असर अगले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। इस प्रकार, यह मास्टरस्ट्रोक कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।