क्या भारत अमेरिकी दबाव में रूस से तेल खरीदना बंद करेगा? ट्रंप का नया टैरिफ विवाद
डोनाल्ड ट्रंप का विवादास्पद बयान
डोनाल्ड ट्रंप: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने का निर्णय लेकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध में रूस की सहायता कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, तो भविष्य में और भी कठोर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इस मुद्दे पर मीडिया में चर्चा चल रही है कि क्या भारत अमेरिकी दबाव में आकर रूस से दूरी बनाएगा या यह केवल एक कूटनीतिक रणनीति है। इसके अलावा, यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रंप की नाराजगी वास्तव में रूस से तेल खरीदने के कारण है या इसके पीछे कोई अन्य राजनीतिक कारण है।
मीडिया की प्रतिक्रिया
मीडिया रिपोर्ट्स
9 अगस्त को राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की गई। रूस की सुरक्षा परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य एंड्रयू सुशेनत्सोव ने स्पष्ट किया कि भारत कभी भी डोनाल्ड ट्रंप या उनके टैरिफ के दबाव में आकर अमेरिकी विदेश नीति का पालन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीति भारत के संदर्भ में हमेशा विफल रही है, इसलिए ट्रंप का यह टैरिफ दबाव लंबे समय तक नहीं टिकेगा।
अमेरिका की रणनीति
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर टैरिफ बढ़ाने का तर्क सही नहीं है। उनके अनुसार, अमेरिका का असली उद्देश्य भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को नियंत्रित करना है। अमेरिका चाहता है कि भारत उसे अपना रणनीतिक नेता मानकर उसकी दिशा में कदम बढ़ाए, लेकिन यह भारत के लिए स्वीकार करना आसान नहीं होगा।
संभावित राजनीतिक सौदा?
संभावित राजनीतिक सौदा?
व्यापारियों को आशंका है कि ट्रंप और पुतिन की मुलाकात में ऐसा कोई समझौता हो सकता है जिसमें यूक्रेन के हितों की अनदेखी की जाए या यूक्रेन को अपनी कुछ भूमि गंवानी पड़े। यदि यूक्रेन इस दिशा में कदम नहीं उठाता है, तो ट्रंप उस पर दबाव डाल सकते हैं, जैसा कि उन्होंने पहले भी किया है।