क्या महात्मा गांधी का नाम हटाना है सरकार की नई रणनीति? प्रियंका गांधी ने संसद में उठाए सवाल
संसद में मचा सियासी बवाल
नई दिल्ली : लोकसभा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर VB-जी राम जी करने से संबंधित विधेयक पेश होते ही संसद में राजनीतिक हलचल तेज हो गई। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार की नीतियों और प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाए। विपक्षी दलों का कहना है कि यह केवल नाम परिवर्तन का मामला नहीं है, बल्कि इससे योजना की मूल भावना और संघीय ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
प्रियंका गांधी का विरोध
योजना का नाम बदलने से अतिरिक्त खर्च होता है...
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार एक ओर केंद्रीय अधिकारों को बढ़ा रही है, जबकि दूसरी ओर योजना की फंडिंग में कटौती कर रही है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार की नाम बदलने की यह 'सनक' आखिर क्यों है। प्रियंका ने कहा कि जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो सरकारी कागजात, बोर्ड, स्टेशनरी और प्रचार सामग्री पर अतिरिक्त खर्च होता है, जो जनता के पैसे की बर्बादी है।
संविधान की मूल भावना का उल्लंघन
नया विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ
उन्होंने यह भी कहा कि नया विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। प्रियंका के अनुसार, भले ही विधेयक में मजदूरी के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने का प्रावधान है, लेकिन मजदूरी की दर बढ़ाने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जिससे मजदूरों को वास्तविक लाभ नहीं मिलेगा।
महात्मा गांधी का नाम हटाने पर आपत्ति
महात्मा गांधी का नाम हटाने पर आपत्ति
प्रियंका गांधी ने योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने का भी विरोध किया। सदन में भाजपा सदस्यों की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी उनके परिवार के सदस्य नहीं थे, लेकिन वे परिवार जैसे थे। उन्होंने कहा कि किसी एक व्यक्ति की सोच या पसंद के आधार पर इतनी महत्वपूर्ण योजना में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।
राज्यों पर आर्थिक बोझ
राज्यों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि नए विधेयक के तहत योजना की फंडिंग का बोझ राज्यों पर बढ़ाया जा रहा है। पहले जहां राज्य सरकारों का योगदान लगभग 10 प्रतिशत था, वहीं अब इसे बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। विपक्ष का कहना है कि इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा और गरीब व ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार कार्यक्रम प्रभावित हो सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस का विरोध
भगवान राम पूजनीय हैं, लेकिन...
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने भी योजना के नामकरण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि भगवान राम पूजनीय हैं, लेकिन मौजूदा संदर्भ में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि नए प्रावधानों से राज्यों पर अनावश्यक बोझ डाला जा रहा है, इसलिए उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है।
कांग्रेस और विपक्ष की मांग
कांग्रेस और विपक्ष की मांग
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान को ऐसे मंत्री के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाया। उन्होंने इसे गलत और अपमानजनक बताया। वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी कहा कि योजना से गांधीजी का नाम हटाना उनका अपमान है।
पहले संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाए
विपक्ष ने मांग की कि इस विधेयक को पहले संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा जाए, जहां सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हो। आवश्यक संशोधन और सुझाव शामिल करने के बाद ही इसे दोबारा सदन में लाया जाए। मनरेगा का नाम बदलने से जुड़ा यह विधेयक केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि राजनीतिक, वैचारिक और संघीय ढांचे से जुड़ा बड़ा मुद्दा बन गया है। आने वाले दिनों में इस पर संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह व्यापक बहस जारी रहने की संभावना है.