क्या मोदी अमेरिकी टैरिफ संकट को राजनीतिक लाभ में बदलने में सफल होंगे?
मोदी का टैरिफ युद्ध पर बयान
मोदी का टैरिफ युद्ध पर दृष्टिकोण: अमेरिकी प्रशासन द्वारा 27 अगस्त, 2025 से भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% टैरिफ न केवल भारत की आर्थिक स्थिति के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह देश की संप्रभुता, किसानों और छोटे व्यवसायियों के लिए भी एक गंभीर खतरा है। इस निर्णय ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में और तनाव पैदा कर दिया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संकट को अपने नेतृत्व कौशल के माध्यम से राजनीतिक लाभ में बदलने का प्रयास किया है।
मोदी ने संकट को राजनीतिक संदेश में बदला
मोदी ने इस संकट को अपने राजनीतिक संदेश में बदलते हुए खुद को किसानों और छोटे व्यवसायों का रक्षक बताया है। कृषि कानूनों पर विरोध, नोटबंदी और अन्य विवादों के बावजूद, उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि उनका मुख्य ध्यान किसानों और छोटे उद्यमियों की भलाई पर है। अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बाद, मोदी ने कहा कि भारत अपने किसानों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, और इसे देश की प्राथमिकता माना जाएगा।
अर्थशास्त्रियों की भविष्यवाणियाँ
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन टैरिफ के लागू होने से भारत की जीडीपी में 0.4% से 0.6% तक की गिरावट आ सकती है, विशेष रूप से श्रम-प्रधान उद्योग जैसे कपड़ा, रत्न, आभूषण और समुद्री उत्पादों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 60% तक बढ़ाए गए शुल्कों से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान होगा, खासकर तटीय क्षेत्रों में जहां झींगा उद्योग प्रभावित होगा। इसके अलावा, एमएसएमई क्षेत्र में काम कर रहे छोटे उत्पादक और श्रमिक भी इन टैरिफ से प्रभावित होंगे, जिससे रोजगार संकट उत्पन्न हो सकता है।
मोदी का राष्ट्रीय स्वाभिमान का दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान से जोड़ते हुए दीवार की तरह खड़े रहने का संकल्प लिया है। उनकी यह बयानबाजी किसानों और छोटे व्यवसायों को समर्थन देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी सरकार की ओर से एक व्यापक जीएसटी सुधार की घोषणा की, जो छोटे उद्यमियों और किसानों के हित में होगा। इस सुधार के तहत, कुछ वस्तुओं पर कर कम किए जाएंगे, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सुधार की संभावना है।
आलोचकों की राय
हालांकि, आलोचकों का मानना है कि मोदी के कदम केवल आंशिक समाधान प्रदान करते हैं। अमेरिकी टैरिफ की चुनौती का सामना करने के लिए भारत को अपनी आर्थिक संरचना में गहरे सुधार की आवश्यकता है, जैसे श्रम बाजार, सीमा शुल्क और रसद में सुधार। फिर भी, मोदी के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, जहां वे अपने राष्ट्रीयवादी एजेंडे को और मजबूत कर सकते हैं। वे इसे आपदा में अवसर के रूप में देख रहे हैं, जहां अपने दृढ़ संकल्प के जरिए वे अपने राजनीतिक आधार को मजबूत कर सकते हैं।
मोदी का रणनीतिक दृष्टिकोण
इस संकट में मोदी का रणनीतिक दृष्टिकोण यह साबित करता है कि वे केवल आर्थिक संकट से निपटने में सक्षम नहीं हैं, बल्कि इसे एक राजनीतिक सफलता में बदलने के लिए भी तैयार हैं। इतिहास यह तय करेगा कि उनका यह साहसिक कदम भारत को किस दिशा में ले जाता है।