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क्या रसायन शास्त्र की प्रोफेसर ने कोर्ट में दिया अनोखा बचाव? जानिए ममता पाठक की कहानी

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में रसायन शास्त्र की प्रोफेसर ममता पाठक ने अपने पति की हत्या के आरोप में अद्भुत बचाव पेश किया। उन्होंने कोर्ट में बताया कि थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न के बीच का अंतर केवल प्रयोगशाला परीक्षणों से समझा जा सकता है। इस मामले में ममता पर आरोप है कि उन्होंने अपने पति को नींद की गोलियां देकर करंट लगाया। जानें इस अनोखे न्यायिक बचाव की पूरी कहानी और क्या हुआ अंतिम सुनवाई में।
 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अद्भुत पल

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक सुनवाई के दौरान एक दिलचस्प घटना घटी, जब रसायन शास्त्र की प्रोफेसर ममता पाठक से एक न्यायाधीश ने पूछा कि उन पर अपने पति को बिजली का झटका देकर हत्या करने का आरोप है। इस पर 60 वर्षीय ममता ने आत्मविश्वास के साथ ऐसा उत्तर दिया, जिसने न्यायालय की बेंच को चौंका दिया।


उन्होंने स्पष्ट किया कि थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न के बीच का अंतर केवल प्रयोगशाला परीक्षणों के माध्यम से समझा जा सकता है, जो दृष्टिगत रूप से नहीं किया जा सकता। ममता ने न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा के समक्ष विस्तार से बताया कि विद्युत धारा शरीर के ऊतकों पर किस प्रकार प्रभाव डालती है। उन्होंने चिकित्सा धातुओं के अणुओं के जमाव, एसिड-आधारित पृथक्करण तकनीक और रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से विश्लेषण की प्रक्रिया को समझाया।


असामान्य न्यायिक बचाव

यह संवाद तब हुआ जब ममता पाठक के खिलाफ हत्या का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन था। इस चर्चा ने सोशल मीडिया पर तेजी से ध्यान आकर्षित किया और इसे हाल के समय का सबसे असामान्य न्यायिक बचाव माना गया।


मामले के अनुसार, 29 अप्रैल 2021 को छतरपुर में ममता ने अपने पति नीरज पाठक, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर थे, को नींद की भारी गोलियां दीं और फिर कथित तौर पर उन्हें करंट लगाया। घटना के बाद, वह अपने बेटे के साथ झांसी चली गईं। ममता का दावा था कि 1 मई को जब वह लौटीं, तो उन्होंने अपने पति को मृत पाया।


नीरज पाठक की रिकॉर्डिंग

हालांकि, जांच में नीरज पाठक की एक रिकॉर्डिंग सामने आई, जिसमें उन्होंने ममता पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। उनके ड्राइवर की गवाही में भी "बड़ी गलती" स्वीकारने की बात सामने आई। इसके अलावा, ममता के वैवाहिक जीवन में परेशानियों के सबूत भी मिले। उन्होंने पहले घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।


अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित

सत्र न्यायालय ने ममता को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिल गई और 29 अप्रैल की अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। ममता फिलहाल जमानत पर हैं।