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क्या राहुल गांधी की नैतिकता में बदलाव आया है? अमित शाह का तीखा सवाल

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी नैतिकता में बदलाव आया है, खासकर तीन चुनावों में हार के बाद। उन्होंने 2013 के अध्यादेश का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे राहुल ने उस समय नैतिकता का हवाला दिया था। शाह ने नए संविधान संशोधन विधेयक के बारे में भी चर्चा की, जो गंभीर आपराधिक मामलों में नेताओं के पद से हटने की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है। विपक्ष की चिंताओं का जवाब देते हुए, शाह ने न्यायालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इस राजनीतिक बहस में कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छुआ गया है।
 

अमित शाह का राहुल गांधी पर हमला

Amit Shah: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की नैतिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की नैतिकता में बदलाव आया है, खासकर तीन चुनावों में हार के बाद। शाह ने 2013 का उदाहरण देते हुए बताया कि जब राहुल गांधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ा था, तब उन्होंने नैतिकता का हवाला दिया था। अब वही राहुल गांधी अलग रुख अपनाते नजर आ रहे हैं।


अध्यादेश और संवैधानिक संशोधन पर अमित शाह का स्पष्टीकरण

अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए अध्यादेश को क्यों फाड़ा था? अगर उस समय नैतिकता थी, तो अब क्या हुआ? क्या यह सिर्फ इसलिए है कि उन्होंने लगातार तीन चुनाव हार लिए? नैतिकता हार-जीत से नहीं, बल्कि स्थिरता से जुड़ी होनी चाहिए।


2013 का अध्यादेश दोषी सांसदों और विधायकों को राहत देने के लिए था, जिससे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को लाभ मिलता। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे नेताओं की सदस्यता रद्द करने का आदेश दिया था। अब केंद्र सरकार संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 लेकर आई है, जिसके अनुसार यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में 30 दिन तक जेल में रहता है, तो उसे अपने पद से हटना होगा।


कानून के दायरे में प्रधानमंत्री का उदाहरण

अमित शाह ने कहा कि यह कानून सभी दलों पर समान रूप से लागू होगा, चाहे वह बीजेपी हो या अन्य। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने खुद को भी इस कानून के दायरे में रखा है। इंदिरा गांधी ने 39वां संशोधन लाकर शीर्ष पदों को न्यायिक समीक्षा से बाहर कर दिया था, लेकिन नरेंद्र मोदी ने खुद पर संवैधानिक बंधन लागू किया है।


विपक्ष की चिंताएं और अमित शाह का उत्तर

विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून गैर-भाजपा शासित राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने का एक साधन बन सकता है। उन पर आरोप है कि अदालतों में सुनवाई को लंबा खींचकर नेताओं को 30 दिनों से अधिक जेल में रखा जा सकता है। इस पर अमित शाह ने कहा कि हमारे न्यायालय कानून की गंभीरता को समझते हैं। जब 30 दिनों के बाद पद से हटना अनिवार्य होगा, तो अदालतें भी जल्दी निर्णय लेंगी कि व्यक्ति को जमानत मिले या नहीं। उन्होंने अरविंद केजरीवाल का उदाहरण देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की सलाह दी थी, लेकिन मौजूदा कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।