क्या विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का भविष्य सुरक्षित है?
राहुल गांधी के आवास पर विपक्षी नेताओं की बैठक
हाल ही में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने राहुल गांधी के नए सरकारी आवास पर एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई और उसके बाद सभी ने एक साथ भोजन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस अवसर पर ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेताओं को भोजन कराया। लेकिन इस बैठक और भोजन का वास्तविक परिणाम क्या निकला? क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम द्वारा उठाए गए सवालों का कोई समाधान मिला?
गठबंधन की स्थिरता पर सवाल
क्या यह स्पष्ट हो गया है कि विपक्षी गठबंधन उसी रूप में बना हुआ है, जैसा कि इसके गठन के समय था? पिछले छह महीनों में कई नेताओं ने ‘इंडिया’ ब्लॉक के अस्तित्व पर सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि इसका गठन 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए किया गया था। ऐसे में, क्या चुनाव के बाद इसका अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा? संसद सत्र में जो एकजुटता दिख रही है, क्या वह केवल मानसून सत्र के लिए है?
यूपीए और ‘इंडिया’ का तुलना
वास्तविकता यह है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक का अस्तित्व अब वैसा नहीं रहा, जैसा कि यूपीए का था। यूपीए का गठन 2004 में हुआ था और यह 2014 तक बना रहा। लेकिन 2014 के चुनाव में हारने के बाद यह समाप्त हो गया। इसके विपरीत, एनडीए का गठन 1998 में हुआ था और वह आज भी सक्रिय है। क्या ‘इंडिया’ का भविष्य भी ऐसा ही होगा?
राज्यों में गठबंधन की स्थिति
राज्यों में ‘इंडिया’ ब्लॉक के नाम से कोई गठबंधन नहीं है। महाराष्ट्र में इसे ‘महाविकास अघाड़ी’ कहा जाता है, जबकि बिहार में इसे ‘महागठबंधन’ कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे ‘सेकुलर प्रोग्रेसिव एलायंस’ के नाम से जाना जाता है। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व में एक गठबंधन है, जिसका नाम यूडीएफ है।
लोकसभा चुनाव में विपक्ष की स्थिति
लोकसभा चुनाव में विपक्ष का गठबंधन भी पूरी तरह से सफल नहीं रहा। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कोई तालमेल नहीं किया, और केरल में कांग्रेस और सीपीएम के बीच कोई सहयोग नहीं था। यह एक टैक्टिकल पोजिशन थी, जो राज्यों की राजनीतिक वास्तविकता को ध्यान में रखकर बनाई गई थी।
भविष्य की संभावनाएँ
हालांकि, लोकसभा चुनाव के बाद इस टैक्टिकल पोजिशन में भी बिखराव हुआ है। ममता बनर्जी और अन्य नेताओं के साथ आने की संभावना कम है। संसद में विपक्ष की एकता का मतलब यह नहीं है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक मजबूत हो रहा है। मतदाता सूची में बदलाव के मुद्दे पर सभी पार्टियां एकजुट हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि चुनावी तालमेल होगा।