क्या शशि थरूर के डिनर में विपक्ष की अनुपस्थिति ने मचाई राजनीतिक हलचल?
नई दिल्ली में पुतिन के सम्मान में आयोजित डिनर
नई दिल्ली: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित डिनर ने राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया है। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, लेकिन उन्होंने विपक्ष के अन्य प्रमुख नेताओं को आमंत्रित न करने पर निराशा व्यक्त की। उनका मानना है कि लोकतंत्र में ऐसे आयोजनों में सभी राजनीतिक दलों का होना आवश्यक है।
थरूर का डिनर में शामिल होना
तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर को संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में इस डिनर के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने कहा, "मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता, लेकिन हमारे लोकतंत्र में विपक्ष के नेताओं का वहां होना बेहतर होता।" उन्होंने कार्यक्रम में राष्ट्रपति की प्रभावशाली स्पीच और पुतिन के गर्मजोशी भरे उत्तर की सराहना की।
विपक्ष के नेताओं की अनुपस्थिति पर थरूर की चिंता
थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि विदेशी मेहमान के सम्मान में राष्ट्रपति का न्योता ठुकराना उचित नहीं है। फिर भी, उन्हें खेद है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "यह शर्मनाक है। मैं विवाद से दूर रहना चाहता हूं, लेकिन कुछ नेताओं की अनुपस्थिति दुखद है।" थरूर ने अपनी पार्टी की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि उनकी भूमिका विदेश नीति से संबंधित है, इसलिए इस कार्यक्रम में शामिल होना आवश्यक था।
कांग्रेस का बीजेपी पर हमला
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी को निशाना बनाया है। सांसद सैयद नासिर हुसैन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेदभाव से ऊपर उठना चाहिए। उन्होंने कहा, "परंपरा टूट रही है। विपक्ष के नेताओं को न बुलाना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। राष्ट्रपति को दोनों पक्षों के बीच संवाद सुनिश्चित करना चाहिए।"
पार्टी ने थरूर के शामिल होने पर भी तंज कसे, लेकिन थरूर ने इसे नजरअंदाज करते हुए कार्यक्रम की सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित किया। यह विवाद एक बार फिर यह याद दिलाता है कि सरकारी आयोजनों में सभी दलों का समावेश लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। थरूर की टिप्पणियों से स्पष्ट है कि वे कार्यक्रम को सफल मानते हैं, लेकिन समावेशिता की कमी पर सवाल उठाते हैं।