×

क्या संचार साथी ऐप नागरिकों की सुरक्षा के लिए है या जासूसी का उपकरण?

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में 'संचार साथी' ऐप के उद्देश्य और कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ऐप नागरिकों की सुरक्षा के लिए है, न कि जासूसी के लिए। विपक्ष ने इस ऐप को लेकर चिंताएँ व्यक्त की हैं, जिसमें कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने नागरिकों की स्वतंत्रता पर संभावित प्रभाव की बात की। जानें इस ऐप के बारे में और क्या है सरकार का पक्ष।
 

संचार मंत्री का स्पष्टीकरण


नई दिल्ली : संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि 'संचार साथी' ऐप के माध्यम से किसी भी प्रकार की जासूसी न तो संभव है और न ही सरकार ऐसा करने की मंशा रखती है. उन्होंने कहा कि यह ऐप पूरी तरह नागरिक सुरक्षा, साइबर धोखाधड़ी पर रोक और चोरी हुए मोबाइल की ट्रैकिंग जैसे सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है. विपक्ष द्वारा उठाई गई निगरानी संबंधी आशंकाओं को सिंधिया ने “बेबुनियाद” बताया.


नागरिकों को अधिकार देने की दिशा में कदम

निगरानी नहीं, नागरिकों को अधिकार देना
सिंधिया ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार नागरिकों को अधिक अधिकार देने और उन्हें तकनीकी रूप से सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रही है. उन्होंने बताया कि 2023 में 'संचार साथी' पोर्टल शुरू किया गया था, जिसकी सफलता ने सरकार को ऐप लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया. जनता की भागीदारी और प्रतिक्रिया के आधार पर लाखों चोरी हुए मोबाइल का पता लगाया गया और साइबर धोखाधड़ी के छह लाख मामलों को रोका जा सका. इसी सफलता को देखते हुए सरकार ने इसे सभी नए मोबाइल उपकरणों में प्रीलोड करने का निर्णय लिया.


विपक्ष का विवाद

ऐप अनिवार्य करने पर विपक्ष का विवाद
संचार मंत्रालय द्वारा 28 नवंबर को जारी आदेश में सभी मोबाइल निर्माताओं को यह ऐप अनिवार्य रूप से नए हैंडसेट में प्रीलोड करने और पुराने मोबाइल में अपडेट के माध्यम से उपलब्ध कराने को कहा गया था. इस आदेश को लेकर विपक्ष ने सरकार पर “निगरानी की कोशिश” का आरोप लगाया. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि नागरिकों को अपने निजी संदेश भेजने की आज़ादी सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए और यह ऐप उस स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है.


ऐप की विशेषताएँ

मोबाइल से हटाया जा सकता है ऐप
सिंधिया ने सदन और मीडिया दोनों में इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि यह ऐप किसी भी अन्य सामान्य ऐप की तरह मोबाइल से हटाया जा सकता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक उपभोक्ता स्वयं ऐप में पंजीकरण नहीं करते, तब तक यह ऐप किसी भी प्रकार की सक्रिय भूमिका नहीं निभाता. अर्थात् नागरिक की सहमति के बिना ऐप कोई डेटा एक्सेस या उपयोग नहीं कर सकता. मंत्री के अनुसार सरकार का इस दिशा में कोई “हठ” नहीं है और जनसुझावों के आधार पर इसकी प्रक्रिया में बदलाव संभव है.


सुरक्षा का उद्देश्य

ऐप का उद्देश्य नागरिकों को सशक्त करना
सिंधिया ने कहा कि संचार साथी ऐप का उद्देश्य नागरिकों को सशक्त करना है, न कि उनकी निगरानी करना. सोशल मीडिया धोखाधड़ी, मोबाइल चोरी और साइबर अपराध जैसी बढ़ती समस्याओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. सरकार का दावा है कि ऐप नागरिकों को सुरक्षा उपकरण प्रदान करता है, न कि उनके निजी जीवन में दखल देता है. उन्होंने पुनः आश्वस्त किया कि यह तकनीक जनता के हितों को ध्यान में रखकर विकसित की गई है और किसी भी प्रकार की निगरानी का माध्यम नहीं बनेगी.