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क्या है अभिषेक मनु सिंघवी का बीजेपी पर आरोप? जानें पूरी कहानी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पार्टी न्यायपालिका के मामलों में दोहरा रवैया अपना रही है। उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को बीजेपी की छवि निर्माण की राजनीति से जोड़ा है। सिंघवी का कहना है कि बीजेपी संसद और अन्य संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। जानें इस मुद्दे पर उनका क्या कहना है और बीजेपी की नीति पर उनका क्या दृष्टिकोण है।
 

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का बयान

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बीजेपी न्यायपालिका के मामलों में दोहरा रवैया अपना रही है, जो हाल की घटनाओं से स्पष्ट है। सिंघवी ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए इसे बीजेपी की छवि निर्माण की राजनीति से जोड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी केवल अपने राजनीतिक नैरेटिव को बनाए रखने के लिए काम कर रही है, और जब उनका नैरेटिव कमजोर होता है, तो पार्टी बौखला जाती है। उनका मानना है कि बीजेपी लगातार संसद और अन्य संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, और धनखड़ का इस्तीफा इसी का हिस्सा है।


धनखड़ के इस्तीफे पर उठाए गए सवाल

सिंघवी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका अचानक पद छोड़ना कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा, 'धनखड़ साहब कुछ समय पहले तक संसद में न्यायपालिका के मुद्दे पर मुखर थे। उन्होंने यह तक कहा था कि यदि लोकसभा और राज्यसभा में कोई समान प्रस्ताव आता है, तो दोनों सदनों के चेयरमैन एक संयुक्त समिति बना सकते हैं और इस पर मिलकर काम कर सकते हैं।'

हालांकि, इसके कुछ समय बाद ही धनखड़ का इस्तीफा सामने आया। सिंघवी का कहना है कि यह चुप्पी अपने आप में बहुत कुछ कहती है, क्योंकि उन्होंने न तो कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण दिया और न ही किसी राजनीतिक या संवैधानिक कारण का उल्लेख किया।


बीजेपी की दोहरी नीति का खुलासा

सिंघवी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, 'यह वही पार्टी है जो केवल नैरेटिव चाहती है। यदि उनसे नैरेटिव छिन जाए, तो ये बौखला जाते हैं। इस पार्टी की कभी यह सोच ही नहीं रही कि देश को साथ लेकर कैसे चला जाए।' उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी संसद और अन्य संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रित करने की हरसंभव कोशिश कर रही है। धनखड़ का इस्तीफा उसी दबाव और छवि निर्माण की एक कड़ी है।


राज्यसभा में उठे मुद्दे और चुप्पी

सिंघवी ने राज्यसभा में सरकार द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब कानून मंत्री से न्यायपालिका की स्वायत्तता और सम्मान के बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। सिंघवी का कहना था, 'जब उनसे पूछा गया कि राज्यसभा में न्यायपालिका की स्वायत्तता और उसके सम्मान के साथ जो कुछ हो रहा है, उस पर सरकार की राय क्या है, तो चुप्पी या गोलमोल जवाब ही मिला।'


बीजेपी पर विपक्ष का हमला

अभिषेक मनु सिंघवी ने बीजेपी पर यह भी आरोप लगाया कि एक ओर तो बीजेपी न्यायपालिका को स्वतंत्र बताती है, लेकिन जब वही न्यायपालिका सरकार की नीतियों या फैसलों की आलोचना करती है, तो उसे 'लोकतंत्र के खिलाफ' करार दे दिया जाता है। सिंघवी ने कहा कि बीजेपी का यह दोहरा रवैया अब जनता से छिपा नहीं रह सकता है।