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क्यों है किशनगंज बिहार चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण सीट? जानें यहाँ

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में किशनगंज की सीट पर राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। AIMIM और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर हो रही है, जिसमें कांग्रेस ने AIMIM के पूर्व विधायक को मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र की 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के साथ, स्थानीय मुद्दे रोजगार और विकास पर केंद्रित हैं। जानें इस चुनावी जंग में क्या हो सकता है आगे।
 

बिहार विधानसभा चुनाव: सीमांचल पर सबकी नजरें


पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में सीमांचल क्षेत्र पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। यह क्षेत्र लंबे समय से विकास की दृष्टि से उपेक्षित रहा है, लेकिन अब यह राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन चुका है। किशनगंज इस बार भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है, जिसे सीमांचल की राजनीति का केंद्र माना जाता है। यहाँ की चारों सीटों पर मुकाबला दिलचस्प है, क्योंकि पिछले चुनाव में AIMIM ने दो सीटों पर जीत हासिल कर राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया था। वहीं, कांग्रेस और आरजेडी एक-एक सीट पर सिमट गई थीं।


किशनगंज में बदलते समीकरण

इस बार महागठबंधन और AIMIM के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। आरजेडी ने ठाकुरगंज के मौजूदा विधायक को फिर से टिकट दिया है, जबकि अन्य सीटों पर नए चेहरों को उतारा गया है। किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने अपने विधायक को हटाकर AIMIM के पूर्व विधायक कमरूल होदा को मैदान में उतारा है। बहादुरगंज में कांग्रेस के टिकट पर AIMIM के पूर्व विधायक चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि AIMIM ने कांग्रेस के पूर्व विधायक को उम्मीदवार बनाया है। कोचाधामन में आरजेडी ने जेडीयू के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम को उम्मीदवार बनाया है।


किशनगंज की राजनीतिक स्थिति

सीटों पर नेताओं की अदला-बदली ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। कुछ सीटों पर AIMIM मजबूत स्थिति में है, और यदि उसने वोट काटे तो बीजेपी के लिए भी संभावनाएँ बन सकती हैं।


ठाकुरगंज में मुकाबला

आरजेडी के मौजूदा विधायक सऊद आलम का मुकाबला जेडीयू के गोपाल अग्रवाल से है। AIMIM यदि मजबूत वोट बैंक खींच लेती है, तो आरजेडी को नुकसान हो सकता है।


कोचाधामन की स्थिति

पिछली बार AIMIM ने यहाँ जीत हासिल की थी। अब आरजेडी और AIMIM के बीच सीधी भिड़ंत हो रही है। बीजेपी की उम्मीदवार वीणा देवी भी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला आरजेडी बनाम AIMIM का माना जा रहा है।


बहादुरगंज में उलझा मुकाबला

यहाँ कांग्रेस ने मुसव्वीर आलम को टिकट दिया है, जबकि AIMIM ने कांग्रेस के पूर्व विधायक तौसीफ आलम को मैदान में उतारा है। इस सीट पर मुकाबला काफी जटिल है।


70 प्रतिशत मुस्लिम वोट

किशनगंज की जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत मुस्लिम है। यहाँ रोजगार और विकास की सबसे बड़ी आवश्यकता है, लेकिन चुनावी चर्चाएँ अक्सर धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर मुड़ जाती हैं। कांग्रेस-आरजेडी का मुस्लिम समुदाय में परंपरागत प्रभाव है, लेकिन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने युवाओं में खास स्थान बना लिया है।


स्थानीय लोगों की उम्मीदें

स्थानीय लोग घुसपैठ या कथित फर्जी वोटिंग जैसे मुद्दों को चुनावी प्राथमिकता नहीं मानते। उनकी मुख्य मांग रोजगार, बुनियादी सुविधाएं और उद्योग हैं। सीमांचल के लोग चाहते हैं कि जो भी सरकार बने, वह इस क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज और उद्योग स्थापित करे ताकि युवाओं को घर में ही रोजगार मिल सके।