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खरड़ मास्टर प्लान पर हाईकोर्ट की सख्ती, अधिकारियों की सैलरी रोकी गई

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने खरड़ मास्टर प्लान को अधिसूचित करने में देरी के कारण तीन वरिष्ठ अधिकारियों की सैलरी रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रशासन की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए नए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। यह निर्णय शहर के अवैध निर्माण को रोकने और शहरी विकास की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
 

खरड़ मास्टर प्लान पर हाईकोर्ट का कड़ा रुख

खरड़ मास्टर प्लान: अधिकारियों की सैलरी पर रोक: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने खरड़ मास्टर प्लान को अधिसूचित करने में देरी के कारण सख्त कदम उठाया है। कोर्ट ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों की सैलरी 23 सितंबर तक रोकने का आदेश दिया है।


इन अधिकारियों में आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव, नगर एवं ग्राम योजना विभाग के मुख्य नगर योजनाकार, और स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव शामिल हैं। यह निर्णय पिछले आदेशों की अनदेखी और प्रशासन की लापरवाही के चलते लिया गया है।


यह निर्णय खरड़ के शहरी विकास और कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है। आइए, इस मामले की पूरी जानकारी प्राप्त करें।


खरड़ मास्टर प्लान: विकास की आवश्यकता

खरड़: पंजाब का दूसरा सबसे बड़ा शहर


खरड़, मोहाली के बाद पंजाब का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और यह ट्राइसिटी का हिस्सा है। यहाँ बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स तेजी से विकसित हो रहे हैं, लेकिन मास्टर प्लान की कमी ने विकास को अव्यवस्थित कर दिया है।


2010 में तैयार मास्टर प्लान की अवधि 2020 में समाप्त हो गई थी। नया प्लान 2020 में बनाया गया, लेकिन इसे अब तक अधिसूचित नहीं किया गया है, जिससे निर्माण कार्य अनियोजित हो रहे हैं और शहर की बुनियादी ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।


हाईकोर्ट की कार्रवाई

निर्माण कार्यों पर रोक


पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले साल सरकार को आदेश दिया था कि खरड़ मास्टर प्लान को आठ महीने में अधिसूचित किया जाए। लेकिन प्रशासन ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर की।


सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने खरड़ में नए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि जब तक मास्टर प्लान को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक कोई नया निर्माण नहीं हो सकता। यह कदम अवैध और अनियोजित निर्माण को रोकने के लिए उठाया गया है।


अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई

लापरवाही पर नाराजगी


हाईकोर्ट ने प्रशासन की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए तीन वरिष्ठ अधिकारियों की सैलरी रोकने का आदेश दिया। कोर्ट ने पाया कि प्रशासन ने मास्टर प्लान को अधिसूचित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।


अधिकारियों ने कोर्ट में स्पष्ट जानकारी भी प्रस्तुत नहीं की, जिसके कारण कोर्ट ने सख्त कदम उठाया। यह निर्णय न केवल खरड़ के लिए, बल्कि पूरे पंजाब में शहरी विकास की जिम्मेदारी को दर्शाता है।


भ्रष्टाचार का खतरा

भ्रष्टाचार के संभावित रास्ते


हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि खरड़ मास्टर प्लान की देरी केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार के लिए भी रास्ते खोल रही है। बिना मास्टर प्लान के निर्माण कार्यों को अनुमति देना भविष्य के लिए खतरा है।


यह स्थिति न केवल शहर की योजनाबद्धता को प्रभावित करती है, बल्कि अवैध निर्माण को भी बढ़ावा देती है। कोर्ट ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिए कि मास्टर प्लान को जल्द अधिसूचित करें और निर्माण कार्यों को इसके अनुरूप करें। यह कदम खरड़ को एक व्यवस्थित और आधुनिक शहर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।