गिग वर्कर्स की हड़ताल: डिलीवरी पार्टनर्स की समस्याएं और मांगें
गिग वर्कर्स का बढ़ता आक्रोश
प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े श्रमिकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। बुधवार को कई शहरों में गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है। डिलीवरी पार्टनर्स का कहना है कि उन्हें 14 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, लेकिन इसके अनुसार उन्हें उचित भुगतान नहीं मिलता।
दिल्ली में डिलीवरी ब्वॉय की शिकायतें
दिल्ली में एक डिलीवरी ब्वॉय ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, "कई घंटों तक ऑर्डर नहीं मिलते। कड़ाके की ठंड में काम करने के बावजूद ऑर्डर न मिलना एक गंभीर समस्या है।"
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सैलरी निश्चित होनी चाहिए या प्रति किलोमीटर का रेट तय किया जाना चाहिए। ड्यूटी इतनी लंबी होती है कि अगर आप दोपहर 12 बजे लॉग इन करते हैं, तो आपको रात 11-11:30 बजे के आसपास लॉग आउट करना पड़ता है। जल्दी लॉग आउट करने पर इंसेंटिव खत्म हो जाते हैं।
स्विगी के बारे में शिकायतें
एक अन्य डिलीवरी ब्वॉय ने कहा कि स्विगी पूरे दिन ऑर्डर नहीं देती। वे इंसेंटिव का दिखावा करते हैं, लेकिन पूरे दिन में केवल एक ही ऑर्डर मिलता है। वे 14 घंटे की शिफ्ट करवाते हैं, लेकिन कमाई उतनी नहीं होती जितनी होनी चाहिए।
गिग वर्कर्स की मांगें
उन्होंने आगे कहा कि यदि वे 14 घंटे काम कर रहे हैं, तो उन्हें उसी अनुसार भुगतान मिलना चाहिए। उनकी मेहनत की कोई कद्र नहीं होती। जब वे ऑफिस जाते हैं, तो उन्हें ऑनलाइन काम करने के लिए कहा जाता है, लेकिन ऑनलाइन कुछ नहीं होता। अगर वे ऑफिस जाते हैं, तो उन्हें इधर-उधर भेजा जाता है। यदि कोई ग्राहक बदतमीजी करता है या कोई दुर्घटना होती है, तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता।
देशव्यापी हड़ताल का आह्वान
यह ध्यान देने योग्य है कि प्रमुख डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़े हजारों गिग वर्कर्स ने बुधवार को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। यूनियनों ने कहा है कि यह विरोध प्रदर्शन ग्राहकों को असुविधा पहुंचाने के लिए नहीं है, बल्कि गिग वर्कर्स की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करने के लिए है। उन्होंने प्लेटफॉर्म कंपनियों से बातचीत करने और उचित वेतन संरचना, सामाजिक सुरक्षा लाभ और पारदर्शी नीतियों को लागू करने का आह्वान किया है।
वर्कर्स की चिंताएं
यूनियनों के अनुसार, डिलीवरी पार्टनर्स को अधिक घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि प्रति ऑर्डर भुगतान लगातार कम हो रहा है। वर्कर्स ने बीमा कवरेज की कमी, असुरक्षित काम करने की स्थिति, मनमाने जुर्माने और नौकरी की सुरक्षा की कमी के बारे में भी चिंता जताई है। कंपनियों की ओर से 'पार्टनर्स' और भारत की डिजिटल कॉमर्स व्यवस्था की रीढ़ बताए जाने के बावजूद गिग वर्कर्स का कहना है कि उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता है।