गुलशन कुमार की हत्या: पूर्व आईपीएस अधिकारी ने साझा की महत्वपूर्ण जानकारी
गुलशन कुमार की हत्या का रहस्य
मुंबई- 12 अगस्त 1997 को भारतीय संगीत जगत को एक बड़ा झटका लगा, जब प्रसिद्ध म्यूजिक प्रोड्यूसर और टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। इस घटना ने संगीत उद्योग को गहरे सदमे में डाल दिया। पूर्व आईपीएस अधिकारी पी.के. जैन ने इस हत्याकांड के बारे में अपनी यादें साझा की हैं और कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं।
पी.के. जैन ने बताया कि गुलशन कुमार को अपने करियर के दौरान कई बार फिरौती और धमकी भरे कॉल्स मिले थे। हत्या से पहले भी उन्हें चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। मुंबई पुलिस ने उन्हें सुरक्षा के लिए गनमैन भी मुहैया कराया था, लेकिन दुर्भाग्यवश हत्या के दिन गनमैन उनके साथ नहीं था। इसी का फायदा उठाकर दो हमलावरों ने मंदिर के बाहर उन पर गोलियां चलाईं।
उन्होंने कहा, "दोनों आरोपी लगभग एक महीने से गुलशन कुमार की रेकी कर रहे थे। जिस दिन उन्होंने हमला किया, उस समय गुलशन कुमार अकेले थे।" पूर्व अधिकारी ने बताया कि उस समय पुलिस के सामने दो प्रमुख एंगल थे। पहला, संगीतकार नदीम सैफी के साथ तनाव, जो टी-सीरीज के साथ उनके व्यावसायिक रिश्तों में था। कहा गया कि टी-सीरीज ने नदीम को नजरअंदाज किया, जिससे नाराज होकर उन्होंने हत्या की योजना बनाई। आरोप यह भी था कि नदीम ने इसके लिए डी गैंग को पैसे दिए। दूसरा एंगल दाउद इब्राहिम से जुड़ा था, जहां गुलशन कुमार से हर महीने रंगदारी मांगी जा रही थी, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया था।
उन्होंने आगे बताया कि हत्या के बाद नदीम सैफी लंदन भाग गए थे। भारत सरकार ने उन्हें वापस लाने की कोशिश की, लेकिन यूके कोर्ट ने उन्हें भारत प्रत्यर्पित करने से मना कर दिया। नदीम ने कोर्ट में कहा कि, "मुंबई पुलिस मुझे फंसाने की कोशिश कर रही है, इसलिए मुझे भारत नहीं भेजा जाना चाहिए।" हालांकि कुछ आरोपियों को सजा मिली और उन्होंने जुर्म भी कबूल किया, लेकिन इस हत्याकांड के असली आरोपी अब भी बाहर हैं। उल्लेखनीय है कि 12 अगस्त 1997 को जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गुलशन कुमार पर 16 गोलियां चलाई गई थीं, जिससे उनकी मौत हो गई।