चंडीगढ़ में टाउनशिप प्रोजेक्ट्स के लिए NGT के नए पर्यावरण नियम
चंडीगढ़ में निर्माण प्रोजेक्ट्स पर NGT के सख्त नियम
चंडीगढ़ में टाउनशिप और बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स के लिए NGT के सख्त नियम लागू: चंडीगढ़ में अब टाउनशिप और बड़े निर्माण कार्यों के लिए प्रक्रिया आसान नहीं रहने वाली है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए हैं।
यदि कोई डेवलपर 50 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर टाउनशिप स्थापित करना चाहता है या 1.5 लाख वर्ग मीटर से बड़ा निर्माण कार्य शुरू करना चाहता है, तो उसे पहले पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance) प्राप्त करनी होगी।
यह जानकारी उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो चंडीगढ़ में रियल एस्टेट या निर्माण से जुड़े हैं। आइए, इस नए नियम के सभी पहलुओं को समझते हैं और देखते हैं कि यह शहर के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगा।
पर्यावरण मंजूरी: क्यों है यह आवश्यक?
चंडीगढ़ का पर्यावरण विभाग अब पहले से अधिक सतर्क हो गया है। NGT के 5 अगस्त 2024 के आदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि 2006 की पर्यावरण अधिसूचना को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि आपका प्रोजेक्ट 50 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर है या 1.5 लाख वर्ग मीटर से अधिक निर्माण क्षेत्र को कवर करता है, तो बिना पर्यावरण मंजूरी के एक ईंट भी नहीं रखी जा सकती।
इसके अतिरिक्त, 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाले भवन प्रोजेक्ट्स भी इस नियम के अंतर्गत आएंगे। ये नियम केवल कागजी कार्रवाई नहीं हैं, बल्कि शहर के हरे-भरे पर्यावरण की रक्षा के लिए एक प्रयास हैं।
कौन से प्रोजेक्ट्स पर लागू होंगे ये नियम?
NGT ने स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष क्षेत्रों में बनने वाले प्रोजेक्ट्स को 'कैटेगरी A' में रखा जाएगा। इनमें शामिल हैं:
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अधिसूचित संरक्षित क्षेत्रों के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्रोजेक्ट्स।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा चिन्हित गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों में निर्माण।
ईको-सेंसिटिव क्षेत्रों में होने वाले प्रोजेक्ट्स।
अंतर-राज्यीय सीमाओं पर बनने वाली परियोजनाएं।
इन प्रोजेक्ट्स की केंद्रीय स्तर पर सेक्टोरल एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी द्वारा जांच की जाएगी। इसका मतलब है कि अब हर प्रोजेक्ट की बारीकी से जांच की जाएगी ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे।
NGT और पर्यावरण मंत्रालय की सख्ती
NGT ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि 2006 की अधिसूचना में कोई अस्पष्टता है, तो उसे नई अधिसूचना जारी करके स्पष्ट किया जाए। तब तक पुराने नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा। चंडीगढ़ का पर्यावरण विभाग इस आदेश को पूरी तरह से लागू करने में जुट गया है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी प्रोजेक्ट पर्यावरण नियमों का उल्लंघन न करे। यह कदम न केवल चंडीगढ़ के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है।
ये नए नियम चंडीगढ़ के रियल एस्टेट क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। डेवलपर्स को अब पहले से अधिक सावधानी बरतनी होगी। पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया में समय और संसाधनों की आवश्यकता होगी, जिससे प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ सकती है।
हालांकि, दूसरी ओर, ये नियम शहर के हरे-भरे वातावरण की रक्षा में मदद करेंगे। चंडीगढ़, जो अपनी हरियाली और साफ हवा के लिए प्रसिद्ध है, इन नियमों के साथ और भी बेहतर बन सकता है। यह एक ऐसा कदम है जो पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाएगा।