चीन और पाकिस्तान की रणनीति: भारत के खिलाफ बढ़ती चुनौतियाँ
चीन की भूमिका और पाकिस्तान का इरादा
पाकिस्तान के साथ एक निश्चित संघर्ष की संभावना है, जिसमें चीन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। पाकिस्तान खुद भी युद्ध की तैयारी कर रहा है, और राष्ट्रपति शी जिनफिंग के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की वैश्विक स्थिति में उथल-पुथल एक अवसर प्रदान कर रही है। चीन का लक्ष्य अमेरिका के वर्चस्व को समाप्त करना है। राष्ट्रपति शी के दो प्रमुख उद्देश्य स्पष्ट हैं: वैश्विक राजनीति को अपनी धुरी पर केंद्रित करना और डॉलर को दूसरे स्थान पर धकेलना। इस कारण रूस-यूक्रेन संघर्ष जारी रहेगा, और चीन अंततः ताइवान पर कब्जा कर प्रशांत-एशिया में अपनी स्थिति मजबूत करेगा। दक्षिण एशिया में, चीन भारत से सीधे टकराने के बजाय पाकिस्तान को भारत के खिलाफ खड़ा कर रहा है, जिससे भारत की महाशक्ति की छवि को कमजोर किया जा सके।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष की तात्कालिकता
भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव की जल्दी का कारण यह है कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य शक्ति और वैश्विक स्थिति को सभी देशों में उजागर कर दिया है। मोदी सरकार चाहे जितना भी छुपाने की कोशिश करे, लेकिन दुनिया ने उसकी कमजोरियों को पहचान लिया है। हाल ही में, पुतिन के एक सहयोगी ने ट्रंप और पुतिन के बीच लंबी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की बात की। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने हाल ही में कहा कि शिमला समझौता अब समाप्त हो चुका है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह मुद्दा अब द्विपक्षीय नहीं रहा।
चीन की आर्थिक रणनीति
चीन की योजना है कि वह भारतीय बाजार में अपनी आपूर्ति को बढ़ाकर भारत को अपने ऊपर निर्भर बनाए रखे। इसके साथ ही, वह पाकिस्तान को हथियार देकर भारत से टकराने के लिए प्रेरित कर रहा है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के साथ, चीन ने पाकिस्तान को पीएल-15 मिसाइलें प्रदान की हैं, जो हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें पाकिस्तान के जेएफ-17 ब्लॉक थ्री लड़ाकू विमानों में लगाई गई हैं। इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को जे-10सी लड़ाकू विमानों से सुसज्जित किया है।
भारत की औद्योगिक चुनौतियाँ
चीन ने भारत की ऑटोमोबाइल कंपनियों में हाहाकार मचा दिया है। दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति में कमी के कारण भारत का रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन प्रभावित हो रहा है। चीन ने इन खनिजों की आयात प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया है कि भारतीय कंपनियों को रक्षा क्षेत्र में उपयोग के लिए 'एंड-यूज़ सर्टिफिकेट' देना पड़ रहा है। इससे कई कंपनियों ने उत्पादन रोक दिया है, जैसे कि मारूति-सुजुकी ने स्विफ्ट का उत्पादन बंद कर दिया है।
चीन का प्रभाव और भारत की स्थिति
ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और रक्षा उत्पादक कंपनियों के लिए उच्च-प्रदर्शन और निम्न-स्तरीय मैग्नेट की आवश्यकता होती है। यदि चीन भारत को आवश्यक मैग्नेट भी नहीं दे रहा है, तो यह स्पष्ट है कि वह भारत को रक्षा उत्पादन में आगे बढ़ने नहीं देगा। राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने हाल ही में वियतनाम में कहा कि ट्रंप के टैरिफ की चिंता न करें, हम सब कुछ देंगे और लेंगे। जी-7 की बैठक के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील में ब्रिक्स बैठक में शामिल होंगे, जहां शी जिनफिंग उन्हें अपनी शरण में आने का आमंत्रण देंगे।