चीन ने अमेरिका की रिपोर्ट को किया खारिज, सीमा स्थिति को बताया स्थिर
चीन का अमेरिका पर आरोप
चीन ने अमेरिकी रक्षा विभाग की उस रिपोर्ट को नकार दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बीजिंग भारत के साथ सीमा तनाव को कम करने का लाभ उठाकर अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर करने और पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह झूठे बयानों के माध्यम से बीजिंग और अन्य देशों के बीच मतभेद पैदा कर रहा है, और यह भी कहा कि भारत के साथ सीमा की स्थिति स्थिर बनी हुई है। चीनी विदेश मंत्री लिन जियान ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि पेंटागन की रिपोर्ट चीन की रक्षा नीति को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है और अमेरिका की सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए बहाना ढूंढने का प्रयास करती है।
पेंटागन की रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश का जिक्र
पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में भारत के अरुणाचल प्रदेश का उल्लेख किया है, जहां चीन कब्जा करने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2049 तक चीन का यहां पर कब्जा करने का इरादा है। ताइवान, साउथ चाइना सी, और जापान के सिंकाकू द्वीपों के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश का भी नाम इस रिपोर्ट में शामिल किया गया है। चीन अब अरुणाचल प्रदेश को अपने कोर इंटरेस्ट में मानता है, जबकि पहले केवल ताइवान और दक्षिण चीन सागर को ही इस श्रेणी में रखा गया था।
अमेरिका-चीन संबंधों में प्रगति
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका और चीन के बीच संबंध कई वर्षों में सबसे मजबूत हैं। युद्ध विभाग इस प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के साथ सैन्य संवाद को बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिसमें रणनीतिक स्थिरता और तनाव कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि अमेरिका का उद्देश्य चीन पर प्रभुत्व जमाना नहीं है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी देश को अपने सहयोगियों पर प्रभुत्व जमाने से रोकना है।
चीन की विस्तारवादी नीतियाँ
चीन सीमा पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर सकता है, हालांकि हाल के समय में दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की कोशिशें भी हो रही हैं। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की रूस में मुलाकात हुई थी, और इस साल प्रधानमंत्री ने एससीओ सम्मेलन में भी भाग लिया। चीन का प्राथमिक लक्ष्य ताइवान है, और वह ताइवान पर कब्जा करने के लिए भारत का राजनीतिक समर्थन चाहता है।