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चुनाव आयोग की सुप्रीम कोर्ट की सलाह न मानने पर संभावित परिणाम

इस लेख में चर्चा की गई है कि यदि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट की सलाह को नजरअंदाज करता है, तो इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के संदर्भ में, आयोग का रुख और विपक्ष की प्रतिक्रिया पर भी प्रकाश डाला गया है। जानें कि दस्तावेजों की कमी के कारण कितने नाम कट सकते हैं और इसके पीछे की वास्तविकता क्या है।
 

सुप्रीम कोर्ट की सलाह और चुनाव आयोग का रुख

यदि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट की सलाह को नजरअंदाज करता है, तो इसके परिणाम क्या होंगे? बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी आयोग से अनुरोध किया था कि आधार, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को सत्यापन के लिए शामिल किया जाए। हालांकि, आयोग ने इस पर असहमति जताई। आयोग ने हलफनामा में कहा कि इन दस्तावेजों से नागरिकता का प्रमाण नहीं मिलता। इसके बाद, 28 जुलाई को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देने के बजाय आयोग को अपने पुराने अनुरोध पर विचार करने के लिए कहा।


चुनाव आयोग का निर्णय और संभावित प्रभाव

चुनाव आयोग ने 24 जून को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश जारी किया था। आयोग का रुख देखते हुए, यह संभावना कम है कि वह सुप्रीम कोर्ट की सलाह को स्वीकार करेगा। यदि आयोग सलाह मानता है, तो उसे यह स्पष्ट करना होगा कि उसने एक महीने से अधिक समय तक यह क्यों कहा कि आधार किसी चीज का प्रमाण नहीं है। आयोग ने बार-बार कहा है कि आधार से नागरिकता, आवास, और जन्म तिथि का प्रमाण नहीं मिलता, जो मतदाता बनने के लिए आवश्यक हैं। यदि आयोग सुप्रीम कोर्ट की सलाह मान लेता है, तो इससे समस्या का समाधान हो जाएगा और विपक्ष का विरोध समाप्त हो जाएगा।


संभावित संकट और विपक्ष की प्रतिक्रिया

हालांकि, यदि आयोग सलाह को नहीं मानता है, तो यह एक बड़ा संकट उत्पन्न कर सकता है। इस स्थिति में, केवल 65 लाख नाम नहीं कटेंगे, बल्कि संभवतः एक करोड़ या उससे अधिक नामों को भी हटाया जा सकता है। यह इसलिए है क्योंकि अब तक दस्तावेजों की कमी के कारण किसी का नाम नहीं काटा गया है। चुनाव आयोग ने पहले चरण के विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद कहा था कि 65 लाख नाम कटेंगे, जिनमें मृतक, स्थायी रूप से बाहर गए लोग, और एक से अधिक स्थानों पर नाम दर्ज लोग शामिल हैं।


दस्तावेजों की स्थिति और आगे की कार्रवाई

वास्तव में, कई लोगों ने मतगणना प्रपत्र भरकर आधार, राशन कार्ड, और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेज जमा किए हैं। चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त बूथ लेवल अधिकारियों ने इन प्रपत्रों को स्वीकार किया है, लेकिन आधार के आधार पर नाम मसौदा मतदाता सूची में शामिल होना सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। यदि आयोग इन दस्तावेजों को स्वीकार नहीं करता है, तो लाखों नाम और कट सकते हैं। ऐसे में, एक अगस्त के बाद विपक्ष को बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए।