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चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को बुलाया, महाराष्ट्र चुनाव में धांधली के आरोपों पर चर्चा

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली के आरोपों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। राहुल ने पहले आरोप लगाया था कि चुनाव में मैच फिक्सिंग हुई थी। आयोग ने उन्हें पत्र भेजकर इस मुद्दे पर चर्चा करने का प्रस्ताव दिया है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और राहुल के आरोपों का क्या असर हो सकता है।
 

चुनाव आयोग की चिट्ठी से राहुल गांधी को आमंत्रण

नई दिल्ली। कांग्रेस के नेताओं ने मीडिया में इस बात की आलोचना की कि चुनाव आयोग राहुल गांधी के आरोपों का औपचारिक उत्तर नहीं दे रहा है। राहुल गांधी ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे। अब चुनाव आयोग ने उन्हें चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। आयोग ने पहले कहा था कि यदि राहुल आधिकारिक रूप से पत्र लिखेंगे, तो उन्हें जवाब दिया जाएगा और यदि वे समय मांगेंगे, तो मिलने का समय भी दिया जाएगा। हालांकि, राहुल ने समय नहीं मांगा, लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें पत्र लिखकर बुलाया है।


इस पत्र में चुनाव आयोग ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली के आरोपों पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के एक अंग्रेजी अखबार में लेख प्रकाशित होने के बाद, 12 जून को मेल के माध्यम से और उनके निवास पर आयोग की चिट्ठी भेजी गई। खबरों के अनुसार, आयोग ने पत्र में लिखा है, ‘भारत की संसद द्वारा पारित चुनावी कानून, उसके नियमों और समय-समय पर चुनाव आयोग के निर्देशों के माध्यम से देश में चुनावों का आयोजन बहुत सख्ती से किया जाता है।’


चिट्ठी में आयोग ने यह भी उल्लेख किया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रक्रिया विधानसभा क्षेत्र स्तर पर आयोजित की गई थी। इसमें चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त 1,00,186 से अधिक बूथ लेवल ऑफिसर, 288 निर्वाचन रजिस्ट्रेशन ऑफिसर, 139 सामान्य पर्यवेक्षक, 41 पुलिस पर्यवेक्षक, 71 खर्च पर्यवेक्षक और 288 रिटर्निंग अधिकारी शामिल थे। इसके अलावा, महाराष्ट्र में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टियों के 1,08,000 से अधिक बूथ स्तर के एजेंट भी शामिल थे, जिनमें से कांग्रेस के 28,421 एजेंट थे।


राहुल ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखकर आरोप लगाया था कि ‘महाराष्ट्र चुनाव में मैच फिक्सिंग की गई थी। इसी तरह की फिक्सिंग अब बिहार में होगी, और फिर वहां होगी जहां भाजपा हारती दिख रही हो।’ इसके बाद, उन्होंने मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक नहीं करने और सभी फुटेज को 45 दिन में डिलीट करने के चुनाव आयोग के फैसले की भी आलोचना की, यह कहते हुए कि जिसको जवाब देना है वही सबूत मिटा रहा है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने राहुल के दावे पर कहा था, ‘यह कांग्रेस की हार से उपजा एक हताशा भरा दावा है।’