चुनावी चंदे में भाजपा की बढ़त: ट्रस्टों के माध्यम से चंदा वितरण का विश्लेषण
चुनावी बॉन्ड का मामला और अदालत का निर्णय
विपक्षी दलों और नागरिक समाज के प्रयासों के चलते चुनावी बॉन्ड का मामला न्यायालय में पहुंचा, जहां सर्वोच्च न्यायालय ने इसे अवैध करार देते हुए समाप्त कर दिया। विपक्ष का आरोप था कि इस प्रणाली ने चंदे के कानून में इतनी गोपनीयता पैदा कर दी थी कि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि कौन बॉन्ड खरीद रहा है और किसे चंदा दिया जा रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट था कि अधिकांश चंदा भाजपा को मिल रहा था। चुनावी बॉन्ड के खत्म होने के बाद विपक्षी दलों ने राहत की सांस ली। इसके बाद, इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से चंदा देने का पुराना तरीका फिर से शुरू हुआ, जिसमें एक साल के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि चंदा केवल भाजपा को ही मिल रहा है, जबकि अन्य दलों को केवल औपचारिकता के लिए कुछ राशि प्राप्त हो रही है.
ट्रस्टों के माध्यम से चंदा वितरण
हाल ही में टाटा समूह के प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट द्वारा चंदा देने की जानकारी सामने आई थी। अब प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की रिपोर्ट भी आई है, जिसने वित्त वर्ष 2024-25 में 2,668.46 करोड़ रुपए का चंदा दिया, जिसमें से 2,180.70 करोड़ रुपए केवल भाजपा को दिए गए। इस ट्रस्ट ने कांग्रेस को मात्र 21.63 करोड़ रुपए का चंदा दिया, जो भाजपा को दिए गए चंदे का एक प्रतिशत भी नहीं है। ट्रस्ट में शामिल कंपनियों की सूची से यह स्पष्ट होता है कि इनमें सरकार की पसंदीदा कंपनियां शामिल हैं, जिनकी विभिन्न क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में मोनोपोली बन गई है.
टाटा समूह का चंदा और कांग्रेस की स्थिति
टाटा समूह के प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 914.97 करोड़ रुपए का चंदा दिया, जिसमें से 757.62 करोड़ रुपए भाजपा को मिले। इस ट्रस्ट ने कांग्रेस को 77.34 करोड़ रुपए का चंदा दिया, जो भाजपा को दिए गए चंदे का 10 प्रतिशत भी नहीं है। चुनावी बॉन्ड के अवैध घोषित होने के बाद, ट्रस्टों के माध्यम से कुल 3,811.37 करोड़ रुपए का चंदा विभिन्न पार्टियों को दिया गया, जिसमें से 3,112.50 करोड़ रुपए अकेले भाजपा को मिले। कांग्रेस को 299.77 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। यह आंकड़े केवल ट्रस्टों के माध्यम से दिए गए चंदे का विवरण हैं, जबकि अन्य तरीकों से भी चंदा दिया गया होगा.
भारत में लोकतंत्र की स्थिति
इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में लोकतंत्र और चुनावी मैदान कितना असमान हो गया है। हाल ही में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने संसद में चंदे का विवरण प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि कांग्रेस के 10 साल सत्ता में रहने के बाद उसके और भाजपा के खातों में जो राशि थी, उसमें दोगुने का अंतर था। वहीं, भाजपा के 10 साल सत्ता में रहने के बाद कांग्रेस और भाजपा के खातों में 30 गुना से अधिक का अंतर आ गया है। इसके अलावा, आयकर विभाग ने कांग्रेस के खाते को भी जब्त किया और एक सौ करोड़ रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया।