जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की वजहें: राजनीति में हलचल
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: एक अनपेक्षित कदम
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष ने इस समय को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि धनखड़ ने 12 दिन पहले जेएनयू में कहा था, "ईश्वर ने चाहा तो मैं 2027 में समय पर सेवानिवृत्त हो जाऊँगा।"
क्या इस्तीफे के पीछे अपमान है?
धनखड़ के इस्तीफे का एक कारण मानसून सत्र के पहले दिन की घटनाएँ हो सकती हैं। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्षी सांसदों के नोटिस को स्वीकार किया, जबकि सरकार लोकसभा में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश कर रही थी। इस स्थिति में विपक्ष को श्रेय मिला।
सरकार की नाराज़गी तब और बढ़ गई जब राज्यसभा में सदन के नेता जे.पी. नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, धनखड़ की अध्यक्षता में हुई कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि, नड्डा ने कहा कि वे महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त थे और पहले ही सभापति को सूचित कर दिया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह उपराष्ट्रपति का अपमान है।
न्यायपालिका के साथ टकराव
धनखड़ के इस्तीफे के पीछे एक और कारण यह हो सकता है कि उन्होंने हाल के महीनों में न्यायपालिका के खिलाफ कई तीखे बयान दिए, जिससे सरकार असहज हो गई थी। 2022 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम के निरस्त होने पर भी उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय पर निशाना साधा था।
उनकी टिप्पणियों को सरकार की ओर से माना गया और इसकी आलोचना हुई। हालांकि, यह भी संभव है कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया हो।
क्या बिहार चुनाव की तैयारी कर रही है भाजपा?
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि धनखड़ के इस्तीफे से यह संकेत मिलता है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है। इससे भाजपा को बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिल सकता है। भाजपा इस बार अधिक से अधिक सीटें जीतने की कोशिश कर रही है। यदि नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो भाजपा अपने किसी नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे ला सकती है।
भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने 22 जुलाई को इन अटकलों को और बढ़ावा दिया, यह कहते हुए कि "अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है, तो यह बिहार के लिए बहुत अच्छा होगा।" भाजपा के लिए, बिहार चुनावों में सफलता बहुत महत्वपूर्ण है।