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जम्मू-कश्मीर पुलिस की बड़ी कार्रवाई: सरला भट्ट हत्या मामले में छापेमारी

जम्मू और कश्मीर पुलिस ने 1990 में कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट के अपहरण और हत्या के मामले में महत्वपूर्ण छापेमारी की है। इस कार्रवाई में आठ स्थानों पर छापे मारे गए, जिसमें JKLF के नेता यासीन मलिक का निवास भी शामिल है। यह घटना कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उनके सामूहिक पलायन के सबसे दुखद अध्यायों में से एक है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई का महत्व।
 

सरला भट्ट का मामला: एक दर्दनाक इतिहास

जम्मू और कश्मीर पुलिस ने स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) के सहयोग से 1990 में कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट के अपहरण और हत्या के मामले में महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। इस जांच के तहत आठ स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें जेल में बंद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के नेता यासीन मलिक का निवास भी शामिल है। यह घटना, जो 35 साल पहले हुई थी, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उनके सामूहिक पलायन के सबसे दुखद अध्यायों में से एक मानी जाती है।


सरला भट्ट, जो अनंतनाग की निवासी थीं, श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) में एक नर्स के रूप में कार्यरत थीं। अप्रैल 1990 में, JKLF के आतंकवादियों ने उन्हें हॉस्टल से अपहरण कर लिया। यह घटना उस समय की है जब घाटी में आतंकवाद अपने चरम पर था, जिससे कश्मीरी पंडित समुदाय में भय का माहौल बन गया।


उनके साथ जो हुआ, वह मानवता को झकझोर देने वाला था। अपहरण के बाद, आतंकवादियों ने उन्हें कई दिनों तक बलात्कार का शिकार बनाया और अंततः उनकी निर्मम हत्या कर दी। उनके शरीर पर गोली के निशान थे, जो उस हैवानियत की गवाही देते थे। बाद में, उनका शव श्रीनगर के डाउनटाउन में एक सड़क पर "पुलिस मुखबिर" के लेबल के साथ फेंका गया। यह झूठा आरोप उस समय आतंकवादी संगठनों द्वारा कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए दबाव डालने की एक साजिश का हिस्सा था।


भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आईटी विंग प्रमुख अमित मालवीय ने इस घटना के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि सरला भट्ट की हत्या 1990 में कश्मीरी पंडितों के बड़े पैमाने पर पलायन का एक पूर्वाभास थी। उन्होंने बताया कि सरला भट्ट की क्रूरतापूर्ण हत्या ने कश्मीर में आतंकवाद के चरम पर एक भयावह तस्वीर पेश की।


जम्मू-कश्मीर पुलिस और SIA द्वारा की गई यह छापेमारी सरला भट्ट हत्याकांड की जांच में एक महत्वपूर्ण कदम है। यासीन मलिक का नाम इस मामले से जुड़ने से इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है। यह कार्रवाई आतंकवादी संगठनों द्वारा किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रयास है।