जयशंकर ने पाकिस्तान की सेना पर किया सीधा प्रहार, भारत-पाक संबंधों की नई परतें खुलीं
भारत-पाक संबंधों पर विदेश मंत्री का बयान
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि भारत के साथ शत्रुता, आतंकवाद और वैमनस्य की जड़ पाकिस्तान की सेना है। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे आतंकवादी ढांचे, प्रशिक्षण शिविरों और वैचारिक शत्रुता, इन सबका मूल स्रोत पाकिस्तान की सेना है। जयशंकर ने कहा, "हमारी अधिकांश समस्याएँ पाकिस्तान की सेना से ही उत्पन्न होती हैं।"
भारत की कूटनीति और पाकिस्तान के प्रति दृष्टिकोण
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को पाकिस्तान के साथ किसी प्रकार की "हाइफ़नेशन मानसिकता" नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि दोनों देशों की क्षमता, शासन-व्यवस्था और वैश्विक प्रतिष्ठा में बड़ा अंतर है। जयशंकर ने भारत की कूटनीति में स्वतंत्रता और सामरिक स्वायत्तता बनाए रखने का संदेश देते हुए कहा कि कोई भी देश भारत की विदेशी साझेदारियों पर वीटो की उम्मीद न करे। इस कार्यक्रम में उन्होंने अमेरिकी व्यापार नीति, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा और वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी चर्चा की।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
भारत की इन टिप्पणियों पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस्लामाबाद ने कहा कि उसके सशस्त्र बल "राष्ट्रीय सुरक्षा का स्तंभ" हैं और जयशंकर के बयान "भड़काऊ और बेबुनियाद" हैं। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने आरोप लगाया कि भारत "दुष्प्रचार अभियान" चला रहा है और पाकिस्तानी सेना किसी भी आक्रमण का "जिम्मेदार और प्रभावी" ढंग से सामना करने में सक्षम है।
भारत-पाक संबंधों की वास्तविकता
भारत और पाकिस्तान के संबंधों की वास्तविकता कोई रहस्य नहीं है। दशकों से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की चुनी हुई सरकारें चाहे जितना भी लोकतंत्र का नाटक करें, असली सत्ता रावलपिंडी के जनरल मुख्यालय में होती है। जयशंकर का बयान नया नहीं है; भारत ने इसे वर्षों से कहा है, लेकिन अक्सर राजनयिक शिष्टाचार के तहत छिपाया जाता है।
पाकिस्तान की सेना की भूमिका
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया भी अपेक्षित थी, जिसमें उन्होंने अपनी सेना को "राष्ट्रीय सुरक्षा का स्तंभ" बताते हुए वही पुरानी बातें दोहराईं। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान की सेना वास्तव में सुरक्षा का स्तंभ है या यह खुद पाकिस्तान की असुरक्षा और अस्थिरता का सबसे बड़ा उत्पादक है? एक ऐसा सैन्य ढांचा जो आतंकवाद को विदेश नीति का औजार बनाता है, वह न केवल पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि अपने नागरिकों के लिए भी खतरा है।
जयशंकर की टिप्पणी का प्रभाव
जयशंकर की टिप्पणी पर पाकिस्तान की झुँझलाहट स्वाभाविक है, क्योंकि यह तथ्य उनकी सबसे कमजोर नस पर चोट करता है कि पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली संस्थान आज विश्व मंच पर विश्वसनीयता संकट का सामना कर रहा है। आतंकवादी संरचनाओं से ऐतिहासिक संबंध, आर्थिक दिवालियापन और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता ने उसकी छवि को कमजोर कर दिया है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद की जड़ें कहाँ हैं और वह अब आतंक के आकाओं का नाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लेने से पीछे नहीं हटेगा। इसका असर FATF, IMF वार्ताओं और वैश्विक सुरक्षा विमर्श में पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ाने वाला है। जब भारत का शीर्ष राजनयिक सीधे पाकिस्तान की सेना को समस्या की जड़ बताता है, तो यह संकेत है कि किसी भी आतंकवादी हमले की स्थिति में भारत की प्रतिक्रिया सीधी और सैन्य-संरचना केंद्रित हो सकती है।