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जयशंकर ने वैश्विक व्यवस्था में बदलावों पर की चर्चा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पुणे में एक समारोह में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक बदलावों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि 80 साल पहले स्थापित वैश्विक व्यवस्था अब बिखर रही है और कोई भी शक्तिशाली देश अपनी इच्छा थोप नहीं सकता। जयशंकर ने वैश्वीकरण, पुनर्संतुलन और बहुध्रुवीयता की अवधारणाओं पर भी प्रकाश डाला। उनका कहना था कि आज की दुनिया में शक्ति और प्रभाव के कई केंद्र उभर चुके हैं, जो संतुलन बनाते हैं।
 

वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक बदलाव

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक पदानुक्रम में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 80 साल पहले स्थापित वैश्विक व्यवस्था अब स्पष्ट रूप से टूट रही है। जयशंकर ने यह स्वीकार किया कि वर्तमान में वैश्विक शक्तियां अब सार्वभौमिक रूप से कार्य करने में असमर्थ हैं।


पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि आज की दुनिया की वास्तविक तस्वीर को खींचना एक चुनौती बन गया है, क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।


जयशंकर ने आगे कहा कि यदि हम कुछ दशकों पीछे जाएं और वर्तमान समय की बात करें, तो विश्व की स्थिति को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना कठिन है। उन्होंने बताया कि वैश्विक व्यवस्था में हो रहे बदलावों के पीछे बड़े देशों की राजनीति और नीतियों का हाथ है।


वैश्विक बदलावों के कारण

उन्होंने तीन मुख्य अवधारणाओं का उल्लेख किया: वैश्वीकरण, पुनर्संतुलन, और बहुध्रुवीयता। इन सभी अवधारणाओं को प्रौद्योगिकी की प्रगति ने गति दी है।


केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि कोई भी शक्तिशाली देश वैश्विक मुद्दों पर अपनी इच्छा थोप नहीं सकता। आज की दुनिया में शक्ति और प्रभाव के कई केंद्र उभर चुके हैं। इसका मतलब यह है कि सभी देशों के बीच स्वाभाविक प्रतिस्पर्धा है, जो अपने आप संतुलन बनाती है।