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जी20 शिखर सम्मेलन 2025: अमेरिका के बहिष्कार को नजरअंदाज करते हुए सदस्य देशों ने अपनाया घोषणापत्र

दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका के बहिष्कार के बावजूद सदस्य देशों ने घोषणापत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार किया। यह सम्मेलन इस बार एक नई परंपरा के साथ शुरू हुआ, जिसमें साझा घोषणापत्र को सम्मेलन के प्रारंभ में ही अपनाया गया। इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि अगली बार अमेरिकी दूतावास को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाएगा। जानें इस सम्मेलन की अन्य महत्वपूर्ण बातें और अमेरिका के साथ कूटनीतिक मतभेदों के बारे में।
 

जी20 घोषणापत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया


G20 Summit 2025 (जोहानिसबर्ग): दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन इस बार काफी चर्चा में है। सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाते हुए इस सम्मेलन का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। इसके बावजूद, सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने जी20 घोषणापत्र को स्वीकार कर लिया है। यह सर्वसम्मति से बनी सहमति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने इसका विरोध किया था और सम्मेलन का बहिष्कार किया था।


जी20 की परंपरा को तोड़ते हुए साझा घोषणापत्र

इस बार टूटी जी20 की परंपरा


दक्षिण अफ्रीका में आयोजित जी20 सम्मेलन इस बार इसलिए भी खास बन गया क्योंकि इस बार सम्मेलन की शुरुआत में ही दुनियाभर के नेताओं ने साझा घोषणापत्र को अपनाया। आमतौर पर इसे सम्मेलन के अंतिम दिन प्रस्तुत किया जाता है। अमेरिका ने मेजबान देश दक्षिण अफ्रीका के साथ कूटनीतिक मतभेदों के कारण इस सम्मेलन का बहिष्कार किया।


अगली बार अमेरिकी दूतावास को नहीं मिलेगी प्रतिनिधित्व

अगली बार किसी राजदूत को नहीं सौंपी जाएगी प्रतिनिधितता


दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप को जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा जी20 की अगली अध्यक्षता किसी अमेरिकी दूतावास के प्रतिनिधि को नहीं सौंपेंगे। यह निर्णय ट्रंप के शिखर सम्मेलन के बहिष्कार के बाद लिया गया है। ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि वह कार्यभार सौंपने के लिए जोहानिसबर्ग में अपने अमेरिकी दूतावास के प्रभारी को भेजेगा। विदेश मंत्री रोनाल्ड लामोला ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति रामाफोसा अमेरिका के प्रभारी को कार्यभार नहीं सौंपेंगे। यदि अमेरिका प्रतिनिधित्व चाहता है, तो वे उचित स्तर पर किसी को भेज सकते हैं, जो राज्य प्रमुख, मंत्री या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त विशेष दूत होगा।