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जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक: महत्वपूर्ण सुधारों की तैयारी

जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में होने जा रही है, जिसमें महत्वपूर्ण सुधारों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक को जीएसटी 2.0 की नींव रखने के रूप में देखा जा रहा है, जिससे टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाया जा सकेगा। सरकार ने संकेत दिया है कि इस बैठक में लिए जाने वाले निर्णय आम उपभोक्ताओं और व्यापारियों के लिए फायदेमंद होंगे। जानें इस बैठक में क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं और उपभोक्ताओं को क्या राहत मिल सकती है।
 

जीएसटी काउंसिल की बैठक 2025

जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक: भारत में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की शुरुआत 2017 में हुई थी, और तब से इसमें कई छोटे-छोटे बदलाव होते रहे हैं। लेकिन इस बार की बैठक को जीएसटी में सबसे बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा है। यह बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।


बदलाव का एजेंडा

आमतौर पर जीएसटी काउंसिल की बैठकों में छोटे मुद्दों पर चर्चा होती है, लेकिन इस बार का एजेंडा काफी व्यापक है। इसमें टैक्स दरों में सुधार और अनुपालन को सरल बनाने जैसे विषय शामिल हैं। इस बैठक से जीएसटी 2.0 की नींव रखी जा सकती है, जिससे टैक्स प्रणाली अधिक सरल और पारदर्शी हो सकेगी।


उपभोक्ताओं को राहत

सरकार ने संकेत दिया है कि इस बैठक में लिए जाने वाले निर्णय आम उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए फायदेमंद होंगे। टैक्स संरचना को सरल और स्थिर बनाने पर जोर दिया जाएगा, ताकि बाजार में खपत बढ़ सके और त्योहारों के मौसम में खरीदारी को प्रोत्साहन मिले। छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए भी टैक्स प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।


टैक्स स्लैब्स में बदलाव

वर्तमान में जीएसटी में चार प्रमुख स्लैब हैं - 5%, 12%, 18% और 28%। बैठक में इन्हें घटाकर दो मुख्य दरों में बदलने का प्रस्ताव है:



  • 5% आवश्यक वस्तुओं के लिए

  • 18% सामान्य वस्तुओं और सेवाओं के लिए

  • 40% लग्जरी और हानिकारक सामान के लिए


इससे व्यापारियों को टैक्स श्रेणियों को लेकर होने वाले विवादों से राहत मिलेगी और एक सरल ढांचा तैयार होगा।


क्या हो सकता है सस्ता?

खबरों के अनुसार, सभी खाद्य और कपड़ा उत्पादों को 5% स्लैब में लाने पर विचार किया जा रहा है। इससे इन क्षेत्रों में विवाद समाप्त होंगे और उपभोक्ताओं के लिए रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो सकती हैं।


सैलून और ब्यूटी सेवाओं पर टैक्स को 18% से घटाकर 5% करने का भी प्रस्ताव है, जिससे छोटे सेवा प्रदाताओं और ग्राहकों दोनों को लाभ होगा।


जीएसटी 2.0 का डिजिटल ढांचा

काउंसिल एक आधुनिक अनुपालन प्रणाली भी पेश कर सकती है, जिसमें पहले से भरे हुए जीएसटी रिटर्न, निर्यातकों और MSMEs के लिए स्वचालित रिफंड, और एक समान वर्गीकरण प्रणाली शामिल होगी। ये बदलाव व्यापारियों का समय और धन दोनों बचाएंगे।


बीमा प्रीमियम पर टैक्स में कमी

वर्तमान में जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी लगता है। बैठक में इसे कम करने या पूरी तरह से हटाने पर चर्चा हो सकती है, जिससे लोगों के लिए बीमा लेना आसान होगा।


भारत की तैयारी

जब दुनिया की अर्थव्यवस्था कई अनिश्चितताओं का सामना कर रही है, भारत खुद को एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। यदि जीएसटी को और व्यापार-फ्रेंडली बनाया जाता है, तो यह न केवल घरेलू व्यापार को मजबूत करेगा बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी बढ़ाएगा।