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जीएसटी में बदलाव: भारतीय अर्थव्यवस्था में आएगा बड़ा परिवर्तन

22 सितंबर को नई जीएसटी दरें लागू होने जा रही हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लाएंगी। वित्त मंत्री के अनुसार, इस बदलाव से आम लोगों के हाथ में लगभग दो लाख करोड़ रुपये आएंगे। फिक्की की रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी 2.0 से न केवल कर का बोझ कम होगा, बल्कि यह एमएसएमई को भी मजबूती प्रदान करेगा। जानें ग्रामीण और शहरी परिवारों को कैसे होगा लाभ और 2017 के बाद कर प्रणाली में आए बदलाव के बारे में।
 

जीएसटी में बदलाव से वस्तुओं की संख्या में वृद्धि


जीएसटी में बदलाव से 5% टैक्स स्लैब में आने वाली वस्तुओं की संख्या तीन गुना बढ़ेगी


GST New Rate (बिजनेस डेस्क): 22 सितंबर को नई जीएसटी दरें लागू होने जा रही हैं, जिसका इंतजार भारतीय उद्योग और आम जनता दोनों कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने पहले ही बताया है कि यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि नई दरों के लागू होने से आम लोगों के हाथ में लगभग दो लाख करोड़ रुपये आएंगे।


फिक्की की रिपोर्ट में जीएसटी 2.0 के लाभ

फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी 2.0 की घोषणा से न केवल कर का बोझ कम होगा, बल्कि यह एमएसएमई को भी मजबूती प्रदान करेगा और अर्थव्यवस्था में औपचारिककरण की गति को बढ़ाएगा। यह कदम भारत को एकल कर प्रणाली के लक्ष्य के करीब ले जाएगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि 5% टैक्स स्लैब में आने वाली वस्तुओं की संख्या 54 से बढ़कर 149 हो जाएगी।


ग्रामीण और शहरी परिवारों को लाभ

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्रामीण परिवारों की खपत टोकरी में टैक्स-फ्री और मेरिट गुड्स का हिस्सा 56.3% से बढ़कर 73.5% तक पहुंच जाएगा। वहीं, शहरी परिवारों के लिए यह हिस्सा 50.5% से बढ़कर 66.2% होने की संभावना है। इससे ग्रामीण परिवारों के लिए प्रभावी जीएसटी दर 6.03% से घटकर 4.27% और शहरी परिवारों के लिए 6.38% से घटकर 4.38% हो जाएगी। इसका अर्थ है कि उपभोक्ताओं के पास अधिक खर्च करने की क्षमता होगी।


2017 के बाद कर प्रणाली में बड़ा बदलाव

अनिल राजपूत, संगठन के चेयरमैन, ने कहा कि 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से देश की कर प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। अब जीएसटी 2.0 एक सरल टैक्स ढांचे और दक्षता के साथ आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी 2.0 से प्रारंभिक चरण में सरकार को राजस्व का कुछ नुकसान हो सकता है, लेकिन समय के साथ खपत में वृद्धि और बेहतर अनुपालन से इसकी भरपाई संभव होगी।