×

जेल में बंद शरजील इमाम ने बिहार से चुनाव लड़ने का किया फैसला

शरजील इमाम, जो दिल्ली के दंगों की साजिश में गिरफ्तार हैं, ने बिहार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। वह बहादुरगंज सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं, जहां मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा है। शरजील का चुनावी इरादा ओवैसी की पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है। जानें इस चुनावी कदम के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

शरजील इमाम का चुनावी इरादा

भारतीय लोकतंत्र की एक दिलचस्प विडंबना यह है कि एक कैदी वोट नहीं दे सकता, लेकिन चुनाव में भाग ले सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में, जेल में बंद कुछ व्यक्तियों ने चुनाव लड़ा और उनमें से दो सांसद बने। पंजाब की खदूर साहिब सीट से अमृतपाल सिंह और जम्मू कश्मीर की बारामूला सीट से इंजीनियर राशिद ने चुनावी प्रक्रिया में भाग लिया। दोनों पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप हैं, फिर भी उन्होंने अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग करते हुए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, राशिद ने जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को भी लड़ाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब, अमृतपाल और राशिद की सफलता से प्रेरित होकर, शरजील इमाम ने भी चुनाव लड़ने का मन बना लिया है।


दिल्ली के 2020 के दंगों की साजिश में गिरफ्तार शरजील इमाम ने बिहार से चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है। वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में भाग लेना चाहता है, इसलिए उसे नामांकन और प्रचार का सारा कार्य स्वयं करना होगा। उसके पास कोई पार्टी सेटअप नहीं है। शरजील इमाम बहादुरगंज सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है, जो किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में आती है और मुस्लिम बहुल है, जहां मुस्लिम आबादी लगभग 70 प्रतिशत है। इस सीट पर पिछले दो बार से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के अंजर नईमी जीतते आ रहे हैं। शरजील का निर्दलीय चुनाव लड़ना ओवैसी की पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है। सोशल मीडिया पर शरजील के लिए काफी सहानुभूति है, और उसे भाजपा द्वारा प्रताड़ित मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधि माना जा रहा है। उसका चुनाव लड़ना 'इंडिया' ब्लॉक और ओवैसी के समीकरण को प्रभावित कर सकता है, जिससे एनडीए को लाभ मिल सकता है।