झारखंड में हूल क्रांति दिवस पर पुलिस और आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प
हूल क्रांति दिवस पर झड़प
झारखंड समाचार: झारखंड के साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में हूल क्रांति दिवस के आयोजन के दौरान पुलिस और आदिवासियों के बीच संघर्ष हो गया। यह झड़प तेजी से हिंसक हो गई, जिसमें कई लोग घायल हुए। जानकारी के अनुसार, आदिवासियों को बिना अनुमति कार्यक्रम आयोजित करने से रोकने पर विवाद उत्पन्न हुआ, जिसके बाद स्थिति बिगड़ गई। आदिवासियों ने पुलिस पर पथराव किया, जबकि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग किया। इस घटना के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी शुरू हो गई हैं। भाजपा ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
भोगनाडीह में सिदो-कान्हू मुर्मू हूल फाउंडेशन ने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की अध्यक्षता में हूल क्रांति दिवस कार्यक्रम के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बावजूद, कार्यक्रम जारी रहा, जिसके चलते पुलिस ने फाउंडेशन द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने का प्रयास किया, जिससे बवाल उत्पन्न हुआ।
पुलिस की कार्रवाई
बवाल के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इस झड़प में कई पुलिसकर्मी और अन्य लोग घायल हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, तीन पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है, और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। साहिबगंज के डिप्टी कमिश्नर हेमंत सती समेत वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर नज़र रखने के लिए मौके पर मौजूद हैं।
सरकार की साजिश का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस घटना को लेकर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि, हूल दिवस के अवसर पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई अत्यंत निंदनीय है। इस बर्बरता में कई ग्रामीण घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना अंग्रेज़ी हुकूमत की याद दिलाती है। हूल क्रांति की भूमि पर, छह पीढ़ियों के बाद सिद्धो-कान्हू के वंशजों को फिर से अत्याचार के खिलाफ खड़ा होना पड़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार आदिवासी समाज को अपने अधिकारों के लिए संगठित नहीं होने देना चाहती। लेकिन सरकार की यह साजिश कभी सफल नहीं होगी। जिस तरह वीर सिद्धो-कान्हू ने अंग्रेजी सत्ता को चुनौती दी थी, उसी तरह आज की यह घटना हेमंत सरकार के पतन का कारण बनेगी।