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ट्रंप का इजरायल-ईरान युद्धविराम उल्लंघन पर कड़ा बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच हाल ही में हुए युद्धविराम के उल्लंघन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इजरायल के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि स्थिति फिर से तनावपूर्ण हो गई है। ट्रंप ने इजरायल से अपने सैन्य पायलटों को वापस बुलाने की मांग की और चेतावनी दी कि युद्धविराम का उल्लंघन शांति प्रक्रिया को जटिल बना सकता है। नाटो शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है, जो वैश्विक कूटनीति के लिए एक नई चुनौती बन सकती है।
 

ट्रंप का इजरायल-ईरान युद्धविराम उल्लंघन पर बयान

ट्रंप का इजरायल-ईरान युद्धविराम उल्लंघन पर बयान: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को इजरायल और ईरान के बीच हाल ही में हुए युद्धविराम के उल्लंघन को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दोनों देशों, विशेषकर इजरायल के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की। ट्रंप का कहना है कि उन्होंने इन लंबे समय से शत्रु देशों के बीच शांति स्थापित करने का प्रयास किया था, लेकिन अब स्थिति फिर से तनावपूर्ण हो गई है।


नाटो शिखर सम्मेलन के लिए हेग जाने से पहले पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा, "इजरायल ने समझौते पर सहमति जताने के तुरंत बाद अपने वादे को तोड़ दिया।" उन्होंने यह भी कहा कि ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। ट्रंप ने इजरायल से अनुरोध किया कि वह "बम न गिराए," क्योंकि यह युद्धविराम का गंभीर उल्लंघन होगा। उनकी यह टिप्पणी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच आई है, जो वैश्विक कूटनीति के लिए एक नई चुनौती बन सकती है।



इजरायल से पायलटों को वापस बुलाने की मांग:


ट्रंप ने इजरायल से अपने सैन्य पायलटों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि युद्धविराम का उल्लंघन दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है। ट्रंप ने कहा, "मैं दोनों देशों, खासकर इजरायल से संतुष्ट नहीं हूँ।" उनकी यह सख्त टिप्पणी इस बात का संकेत है कि अमेरिका इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को और सख्त कर सकता है।


वैश्विक मंच पर चर्चा की संभावना:


नाटो शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे के उठने की संभावना है, क्योंकि इजरायल और ईरान के बीच तनाव का असर मध्य पूर्व की स्थिरता पर पड़ सकता है। ट्रंप की यह टिप्पणी वैश्विक नेताओं के बीच चर्चा का केंद्र बन सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की मध्यस्थता के बावजूद दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी इस समझौते को कमजोर कर रही है।