ट्रंप की टैरिफ नीतियों का असर: अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बढ़ती कीमतों का प्रभाव
ट्रंप की टैरिफ नीतियों का प्रभाव
ट्रंप की टैरिफ नीतियों का प्रभाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने के साथ-साथ अमेरिकी उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति पर भी असर डाला है। हाल ही में, इंस्टाग्राम यूजर मर्सिडीज चैंडलर ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने वॉलमार्ट स्टोर में कपड़ों और अन्य उत्पादों की कीमतों में हुई वृद्धि को दर्शाया। यह वृद्धि ट्रंप की टैरिफ नीतियों का सीधा परिणाम मानी जा रही है।
चैंडलर ने अपने वीडियो में वॉलमार्ट के कपड़ा सेक्शन का दौरा किया और पुराने और नए प्राइस टैग की तुलना की। उन्होंने दिखाया कि पुराने दामों को हटा दिया गया है या उनके ऊपर नए और अधिक दाम वाले टैग चिपकाए गए हैं। एक कपड़ा जो पहले 10.98 डॉलर में बिकता था, अब 11.98 डॉलर में बिक रहा है।
मर्सिडीज चैंडलर का दावा
मर्सिडीज चैंडलर का दावा: एक बैकपैक की कीमत भी 19.97 डॉलर से बढ़कर 24.97 डॉलर हो गई है। चैंडलर ने वीडियो में कहा, "टैरिफ का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। यदि आपको यकीन नहीं है, तो अपने नजदीकी वॉलमार्ट या टारगेट स्टोर में जाकर खुद देख लें।"
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं: चैंडलर के वीडियो पर इंस्टाग्राम यूजर्स की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। कुछ लोग इस वृद्धि से चकित और चिंतित दिखे, जबकि कुछ ने ट्रंप की टैरिफ नीतियों की आलोचना की। एक यूजर ने ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (MAGA) नारे पर तंज करते हुए लिखा, "क्या यह इसके लायक था? क्या हम अब महान हो गए हैं?"
वहीं, एक टारगेट कर्मचारी ने बताया कि उनके स्टोर में भी कुछ दिनों से कपड़ों के पुराने प्राइस टैग हटाए जा रहे हैं। हालांकि, कुछ यूजर्स ने टैरिफ का समर्थन भी किया। एक यूजर ने व्यंग्यात्मक लहजे में लिखा, "टैरिफ से हमें अरबों डॉलर मिल रहे हैं और बदले में हमें एक शर्ट के लिए सिर्फ एक डॉलर ज्यादा देना पड़ रहा है। क्या अब दुनिया खत्म हो जाएगी?"
ट्रंप की टैरिफ नीति का उद्देश्य
ट्रंप की टैरिफ नीति का उद्देश्य: ट्रंप ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही टैरिफ को अपनी आर्थिक नीति का मुख्य हिस्सा बनाया है। उनका कहना है कि विदेशी सामानों पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय नौकरियां सुरक्षित रहेंगी। इसके तहत, विदेशी सामान आयात करने वाली कंपनियों को अब सरकार को अतिरिक्त कर देना पड़ रहा है।