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ट्रंप के टैरिफ विवाद: भारत को समर्थन देने वाले देश और व्यापार वार्ता का इनकार

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया है, जिसमें भारत भी शामिल है। भारत ने इन टैरिफ का विरोध किया है और रूस तथा ब्राजील ने भारत का समर्थन किया है। ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता करने से इनकार कर दिया है। इस स्थिति में भारत का अगला कदम क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
 

ट्रंप के टैरिफ का विवरण

ट्रंप टैरिफ की कहानी: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया। आयातित वस्तुओं पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगाया गया है, जबकि कुछ देशों पर यह 50% तक पहुंच गया है। ट्रंप का कहना है कि इन टैरिफ का उद्देश्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। हालांकि, कई देशों ने इन टैरिफ का विरोध किया है और अमेरिका पर जवाबी टैरिफ भी लगाए हैं। विवाद का मुख्य केंद्र भारत पर लगाए गए टैरिफ हैं, जिनके खिलाफ कई देशों ने भारत का समर्थन किया है।


कितना टैरिफ और किनका समर्थन?

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर 1 अगस्त 2025 से 25% टैरिफ लगाया। इसके पांच दिन बाद, 6 अगस्त से अतिरिक्त 25% टैरिफ भी लागू किया गया। यह अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल और हथियार खरीदने के कारण लगाया गया है। भारत ने इसे अनुचित बताते हुए आर्थिक दबाव में नहीं झुकने का दावा किया है।


भारत के समर्थन में रूस और ब्राजील ने टैरिफ के खिलाफ आवाज उठाई है। रूस ने इसे अवैध करार दिया है, जबकि ब्राजील ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की बात कही है। हालांकि, विश्व स्तर पर भारत का समर्थन करने वाले देशों की संख्या कम है, लेकिन भारतीय उद्योगपति और मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है।


रूस का टैरिफ पर बयान

रूस ने ट्रंप के टैरिफ को अवैध और अनुचित बताया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने भारत का समर्थन करते हुए कहा कि 50% टैरिफ लगाकर भारत पर अनुचित दबाव डाला जा रहा है। भारत का रूस से तेल खरीदना अंतरराष्ट्रीय बाजार की वर्तमान स्थिति के कारण आवश्यक है।


ब्राजील का भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का निर्णय

ब्राजील पर भी 50% टैरिफ लगाया गया है, लेकिन ब्राजील ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का ऐलान किया है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच 7 अगस्त को फोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें व्यापार, रक्षा, और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।


भारतीय उद्योगपति जैसे आनंद महिंद्रा और हर्ष गोयनका ने भारत सरकार के रुख का समर्थन किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के टैरिफ को अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही, अमेरिका को यह संदेश दिया गया है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा।


व्यापार वार्ता का इनकार

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के साथ व्यापार वार्ता करने से इनकार कर दिया है। अब यह देखना होगा कि भारत इस स्थिति में क्या कदम उठाता है।