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ठाकरे ब्रदर्स का 20 साल बाद एक मंच पर आना: मराठी अस्मिता की जीत

महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स का 20 साल बाद एक मंच पर आना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। राज और उद्धव ठाकरे 5 जुलाई को वर्ली में विजय सभा को संबोधित करेंगे, जिसमें हजारों कार्यकर्ताओं की भागीदारी की उम्मीद है। यह पुनर्मिलन मराठी अस्मिता की जीत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब फडणवीस सरकार ने हिंदी को अनिवार्य करने के अपने निर्णय पर यू-टर्न लिया है। इस सभा के माध्यम से, दोनों भाई अपने समर्थकों के बीच एकजुटता का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं।
 

ठाकरे ब्रदर्स का राजनीतिक पुनर्मिलन

महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स की राजनीतिक राहें जब से अलग हुई थीं, तब से दोनों पार्टियों ने एक साथ गठबंधन में रहना तक स्वीकार नहीं किया। उद्धव ठाकरे की पार्टी जहां होती, वहीं राज ठाकरे की पार्टी उसका विरोध करती थी। लेकिन अब, इसे समय की आवश्यकता या राजनीतिक अस्तित्व का सवाल कहें, दोनों भाई एक साथ आने के लिए तैयार हैं।


विजय सभा में एक साथ

20 साल बाद, ठाकरे ब्रदर्स शनिवार को एक मंच पर नजर आएंगे। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे 5 जुलाई को वर्ली के एनएससीआई डोम में विजय सभा को संबोधित करेंगे। इस सभा में दोनों पार्टियों के 25 से 30 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं के जुटने की उम्मीद है।


मराठी भाषा की जीत का जश्न

ठाकरे ब्रदर्स के आंदोलन के बाद, फडणवीस सरकार ने महाराष्ट्र में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य करने के अपने निर्णय पर यू-टर्न लिया। इसके बाद, तीन भाषाओं को अनिवार्य करने के शासनादेश को भी रद्द कर दिया गया। अब, ठाकरे ब्रदर्स इसे मराठी अस्मिता की जीत के रूप में पेश कर रहे हैं। यदि दोनों भाई राजनीति में एक साथ आते हैं, तो राज्य की राजनीतिक स्थिति में बदलाव की संभावना है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि वे अपने समर्थकों की प्रतिक्रिया जानने का प्रयास कर रहे हैं।


दुकानदार की पिटाई से बढ़ा विवाद

मराठी पढ़ाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मनसे के कार्यकर्ता एक दुकानदार को मराठी न बोलने पर पीटते हुए दिखाई दिए। इस वीडियो के वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया और सरकार पर भी सवाल उठने लगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि भाषा को लेकर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।