डोनाल्ड ट्रंप का नया दृष्टिकोण: रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति समझौते की आवश्यकता
ट्रंप और पुतिन की मुलाकात का प्रभाव
ट्रंप-पुतिन बैठक: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो पहले रूस-यूक्रेन युद्ध में केवल सीजफायर की बात कर रहे थे, ने अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद अपना रुख बदल दिया है। ट्रंप ने अब कहा है कि केवल युद्धविराम नहीं, बल्कि 'शांति समझौता' (Peace Deal) ही इस संघर्ष का सही समाधान है।
ट्रंप का बदलता नजरिया
ट्रंप ने पहले रूस पर आर्थिक दबाव डालते हुए शांति समझौते की दिशा में कदम बढ़ाए थे। मई में उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच 30 दिनों के लिए बिना शर्त सीजफायर की अपील की थी। हालांकि, रूस ने केवल तीन दिन का युद्धविराम देने की पेशकश की। जून में नाटो सम्मेलन में ट्रंप ने पुतिन की आलोचना की थी, यह कहते हुए कि उनका युद्ध रोकने से इनकार 'गलत सोच' है।
रूस पर सख्ती और भारत को चेतावनी
पिछले महीने ट्रंप ने पुतिन को 50 दिन का अल्टीमेटम दिया था, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि यदि शांति समझौता नहीं हुआ, तो रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे। उन्होंने भारत को भी चेतावनी दी थी कि यदि वह रूस से तेल खरीदता रहा, तो उस पर 50% टैरिफ लगाया जाएगा।
अलास्का शिखर वार्ता का परिणाम
अलास्का में तीन घंटे चली बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि बातचीत 'प्रोडक्टिव' रही, लेकिन कोई ठोस समझौता नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि आगे की वार्ता सीधे शांति समझौते की दिशा में होगी। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने और पुतिन ने 'यूक्रेन के लिए भूमि हस्तांतरण और सुरक्षा गारंटी' पर चर्चा की और 'काफी हद तक सहमति' बनाई।
यूरोप और यूक्रेन की प्रतिक्रिया
अलास्का शिखर सम्मेलन से पहले, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि ट्रंप सीजफायर पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन की क्षेत्रीय सीमाओं पर बातचीत का अधिकार केवल राष्ट्रपति जेलेंस्की को है। जेलेंस्की अगले हफ्ते अमेरिका की यात्रा पर आ रहे हैं।