डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर कड़ा रुख: रूस से तेल खरीद पर बढ़ सकते हैं टैरिफ
ट्रंप का बयान
डोनाल्ड ट्रंप का इंटरव्यू: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे एक खराब व्यापारिक संबंध बताया। उन्होंने संकेत दिया कि अगले 24 घंटों में भारत पर आयात शुल्क यानी टैरिफ बढ़ाया जा सकता है। ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत की रूस से तेल खरीद युद्ध मशीन को ईंधन देने के समान है।
भारत का जवाब
भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, फर्टिलाइजर और केमिकल्स का आयात कर रहा है, तो भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए क्यों निशाना बनाया जा रहा है।
ट्रंप का जवाब
ट्रंप की अनिश्चितता
ट्रंप बोले- 'मुझे कुछ पता नहीं, जांच करूंगा'
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या भारत का यह दावा सही है कि अमेरिका अब भी रूस से यूरेनियम और अन्य सामग्रियां खरीदता है, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है और उन्हें इसकी जांच करनी होगी। इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत के तर्क ने अमेरिका को असहज स्थिति में ला खड़ा किया है। ट्रंप ने कहा कि हम रूस के साथ बैठक करने जा रहे हैं। देखते हैं क्या होता है। मेरा प्रयास युद्ध को रोकना है, यही सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
अमेरिका की रणनीति
फैसले की घड़ी
ट्रंप ने बताया कि अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ बुधवार को मॉस्को में रूसी नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों के आधार पर तय होगा कि अमेरिका रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर किस तरह का दबाव बनाएगा।
टैरिफ बढ़ाने की संभावना
टैरिफ बढ़ाने पर विचार
ट्रंप ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने पहले 25% टैरिफ तय किया था, लेकिन अब वह इसे और अधिक बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने यह भी इशारा किया कि रूस से ऊर्जा खरीदने वाले देशों पर जिनमें चीन भी शामिल है, 100% टैरिफ लगाया जा सकता है।
भारत की स्थिति
आर्थिक आवश्यकता है, पाखंड नहीं सहेंगे
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर कहा था कि भारत की ऊर्जा खरीद पूरी तरह आर्थिक जरूरतों से संचालित होती है। उन्होंने अमेरिकी और यूरोपीय आलोचना को अनुचित बताया। मंत्रालय ने यह भी याद दिलाया कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में खुद अमेरिका ने भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रह सके।