डोनाल्ड ट्रंप का यूक्रेन नीति में चौंकाने वाला बदलाव: क्या है नया रुख?
डोनाल्ड ट्रंप की नई यूक्रेन नीति
डोनाल्ड ट्रंप का यूक्रेन नीति में बदलाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो पहले यह दावा करते थे कि वे रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के करीब हैं, अब अचानक यूक्रेन और नाटो देशों को रूस के खिलाफ सैन्य सहायता देने का समर्थन कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन अपने खोए हुए क्षेत्रों को पुनः प्राप्त कर सकता है और नाटो देशों को रूसी जेट विमानों को मार गिराने की आवश्यकता है।
पहली बार ट्रंप का स्पष्ट बयान
यह पहली बार है जब ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद यूक्रेन को रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस लेने की संभावना के बारे में इतनी स्पष्टता से बात की है। पहले, वे बार-बार यह सुझाव देते रहे थे कि कीव को कुछ क्षेत्रों को रूस को सौंपना पड़ सकता है।
पुतिन के प्रति ट्रंप का बदलता नजरिया
ट्रंप का यह यू-टर्न इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि कुछ दिन पहले ही उन्होंने पुतिन को "अच्छा मित्र" कहा था। 15 अगस्त को अलास्का में उनकी मुलाकात के दौरान दोनों ने करीबी संबंधों का प्रदर्शन किया। हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान ट्रंप ने कहा कि पुतिन के साथ उनकी दोस्ती का कोई खास लाभ नहीं हुआ है।
नाटो के प्रति नया दृष्टिकोण
ट्रंप की नई स्थिति नाटो के प्रति उनके पुराने दृष्टिकोण से पूरी तरह भिन्न है। पहले उन्होंने नाटो को "अप्रासंगिक" बताया था और कहा था कि यह संगठन आतंकवाद जैसे खतरों से निपटने में असफल रहा है। अब, वे नाटो को रूसी विमानों को मार गिराने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
यूक्रेन की भूमि वापस लेने की संभावना
ट्रंप का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि वे अब मानते हैं कि यूक्रेन न केवल अपनी रक्षा कर सकता है, बल्कि 2014 के बाद रूस द्वारा कब्जाई गई भूमि को भी वापस ले सकता है। पहले, उन्होंने सुझाव दिया था कि यूक्रेन को शांति के बदले कुछ क्षेत्रों को रूस को सौंप देना चाहिए।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों की प्रतिक्रियाएं
जब ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन "जीत" सकता है, तो राजनीतिक पर्यवेक्षक चौंक गए। विश्लेषक इयान ब्रेमर ने कहा, "नौ महीने में ट्रंप का पूरा 180 डिग्री पलटाव हो गया है।" वहीं, कुछ लोग इसे उनकी रणनीतिक स्थिति का अस्थायी झुकाव मानते हैं।
क्या यह बदलाव स्थायी है?
ट्रंप का यह बदलाव यूक्रेन से भूमि सौंपने की बात से लेकर उसे संपूर्ण विजय की स्थिति तक पहुंचाने की बात तक पूरी दुनिया को चौंका रहा है। सवाल यह है कि क्या यह उनकी स्थायी नीति है या वे भविष्य में फिर से पलट सकते हैं।