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डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति: BRICS देशों का एकजुट होना

डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है। उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ ने BRICS देशों को एकजुट कर दिया है, जिससे अमेरिका की वैश्विक स्थिति पर खतरा मंडरा रहा है। जानें कैसे ये देश मिलकर ट्रंप की नीतियों का सामना कर रहे हैं और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
 

ट्रंप की नीति का उल्टा असर

डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। इस बार इसका कारण उनके चुनावी वादे नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार में उठाए गए कदम हैं, जिनका प्रभाव उल्टा पड़ता दिख रहा है। 2025 में ट्रंप प्रशासन द्वारा ब्रिक्स देशों पर लगाए गए भारी टैरिफ अब एक बड़े आर्थिक टकराव का संकेत दे रहे हैं। ट्रंप का मानना है कि यदि कोई देश अमेरिकी शर्तों का पालन नहीं करता, तो उसे व्यापार के माध्यम से सबक सिखाना चाहिए। इसी सोच के तहत उन्होंने भारत, चीन, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका को टैरिफ के जरिए निशाना बनाया। हालांकि, जो योजना ट्रंप ने अमेरिका को मजबूत करने के लिए बनाई थी, वह अब वैश्विक स्तर पर अमेरिका के खिलाफ एक नया मोर्चा खड़ा कर सकती है.


BRICS देशों की एकजुटता

ट्रंप के टैरिफ बम से सबसे अधिक प्रभावित हुए ब्रिक्स देशों ने अब एकजुट होकर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। भारत और ब्राजील पर 50% टैरिफ, चीन और दक्षिण अफ्रीका पर 30% और रूस पर 100% टैरिफ ने इन देशों को एकजुट कर दिया है। ट्रंप का तर्क है कि यह कदम रूस से तेल खरीदने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए आवश्यक था। भारत को तो अतिरिक्त 25% शुल्क भी झेलना पड़ा, जिसका कारण रूस के साथ उसका तेल व्यापार बताया गया। लेकिन इन आर्थिक प्रतिबंधों ने इन देशों को एकजुट करने का काम किया है। अब ये पांचों देश मिलकर ट्रंप की 'अकेले खेलो' रणनीति का जवाब देने के लिए तैयार हैं.


डॉलर का दबदबा खतरे में

BRICS देशों के आर्थिक आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इनकी कुल GDP लगभग 26.6 ट्रिलियन डॉलर है, जो अमेरिका की 27.36 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लगभग बराबर है। ये देश दुनिया की 35.6% GDP और 25% अंतरराष्ट्रीय व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं। ट्रंप के टैरिफ ने न केवल द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव पैदा किया है, बल्कि वैश्विक मुद्रा व्यवस्था में डॉलर की सर्वोच्चता को भी खतरे में डाल दिया है। इन देशों के बीच चर्चा चल रही है कि वे डॉलर से बाहर निकलकर वैकल्पिक भुगतान व्यवस्था पर काम करें। रूस और चीन पहले ही स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, और भारत भी कई देशों के साथ रुपये में व्यापार के विकल्प तलाश रहा है.


ट्रंप की नीति का परिणाम

ट्रंप को उम्मीद थी कि कड़े आर्थिक दबाव में ये देश झुक जाएंगे, लेकिन परिणाम इसके ठीक उलट दिख रहा है। अमेरिका का ट्रेड घाटा कम होने की बजाय कई क्षेत्रों में निवेश घटा है, और व्यापारिक साझेदार अब नए विकल्प खोजने में लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ की आक्रामक नीति से ट्रंप ने अमेरिका की वैश्विक स्थिति को और जटिल बना दिया है.


भविष्य की संभावनाएँ

BRICS के इन पांचों देशों ने अपने स्तर पर अमेरिकी नीतियों का जवाब देना शुरू कर दिया है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक नए बहुध्रुवीय आर्थिक विश्व की शुरुआत हो सकती है, जहां अमेरिका अकेले नायक नहीं रहेगा। यदि ट्रंप अपने रुख में बदलाव नहीं करते, तो यह टैरिफ युद्ध उनके राजनीतिक करियर के लिए भी एक भारी भूल साबित हो सकता है.