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डोनाल्ड ट्रंप के H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि पर भारतीय विपक्ष का तीखा विरोध

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्क को $1,00,000 तक बढ़ाने के आदेश ने भारतीय राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। विपक्षी दलों ने इस निर्णय को भारत-अमेरिका संबंधों के लिए हानिकारक बताया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसे कमजोर नेतृत्व का उदाहरण बताया, जबकि अन्य नेताओं ने इसे मध्यम वर्ग के लिए नुकसानदायक करार दिया। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि का राजनीतिक प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्क को सालाना $1,00,000 तक बढ़ाने के आदेश ने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। शनिवार को, विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की NDA सरकार पर तीखा हमला किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य दलों ने इस निर्णय को भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में “राष्ट्रीय हितों की हानि” करार दिया।


कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, “भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री है।” उन्होंने यह भी कहा कि विदेश नीति केवल “फोटो-ऑप, संगीत और ‘मोदी-मोदी’ के नारे” नहीं होती। बिना ठोस कार्यों के केवल दिखावा देश की प्रतिष्ठा को कमजोर कर देता है।


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्रंप के जन्मदिन पर फोन कॉल के बाद मिले “रिटर्न गिफ्ट्स” की आलोचना की। उनका कहना था कि ये “तोहफे” विदेश नीति नहीं, बल्कि अप्रत्याशित नुकसान हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं, और गले मिलना या सम्मान ठहराव नहीं बन सकते जब निर्णय भारत के भविष्य को प्रभावित करते हों।


सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि इस तरह की रणनीतिक चुप्पी और दिखावटीपन भारत के लिए बोझ बन गई है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साहस का उदाहरण दिया।


समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मोदी सरकार दूसरे देशों पर निर्भर होती जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर कल किसी और देश ने ऐसा कदम उठाया तो हम कैसे खड़े होंगे?”


निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने मध्यम वर्ग की नाराजगी की बात की। उन्होंने कहा कि क्या उन लोगों के लिए $1,00,000 का वीजा शुल्क संभव है जो तनख्वाह पर निर्भर हैं? क्या यह निर्णय केवल अमीरों के लिए अमेरिकी अवसरों को आसान करेगा?