डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका का पतन: सेना की तैनाती और लोकतंत्र का संकट
अमेरिका में सेना की तैनाती
क्या अमेरिका, जो विश्व का प्रहरी माना जाता है, अब अपने ही घर में सेना तैनात कर रहा है? डोनाल्ड ट्रंप, जो शांति और सीजफायर की बात करते हैं, खुद अपने देश को युद्ध का मैदान बना रहे हैं। कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस में अमेरिकी रक्षा बल के मरीन सैनिकों की तैनाती की गई है। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि ट्रंप विरोधी नागरिकों और नेताओं को यह समझा दिया जाए कि वे अमेरिकी सेना के अधीन हैं।
ट्रंप और निरंकुशता का अंतर
क्या ट्रंप, पुतिन और शी जिनफिंग में कोई अंतर रह गया है? ट्रंप लोकतांत्रिक मूल्यों को मिटाते हुए अमेरिका की सॉफ्ट पॉवर को कमजोर कर रहे हैं। अब अमेरिका पहले जैसा नहीं रहा।
ट्रंप का प्रदर्शन और अमेरिकी सेना
अमेरिका अब ट्रंप की नौटंकियों का मंच बन चुका है। वे नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और विदेशी नेताओं के सामने अपनी महिमा का बखान करते हैं। कैलिफोर्निया में नेशनल गार्ड के बाद मरीन की तैनाती की गई है, और उनके जन्मदिन पर वाशिंगटन में सैन्य परेड का आयोजन किया जाएगा।
ट्रंप का राष्ट्रपति पद और अमेरिका का पतन
ट्रंप अमेरिकी इतिहास के ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो अपनी महानता के प्रदर्शन के लिए अमेरिका और उसकी संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी विकसित देश का पतन इस तरह से हो रहा हो।
2016 से अब तक का सफर
जब ट्रंप 2016 में राष्ट्रपति बने थे, तब उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ माहौल बनाया। अब भी वे घुसपैठियों के खिलाफ बोलकर वोट बटोर रहे हैं, लेकिन उनका असली उद्देश्य अपनी महानता को स्थापित करना है।
अमेरिकी व्यवस्था का संकट
अमेरिकी व्यवस्था में शक्ति और सामर्थ्य निहित है, लेकिन ट्रंप अपने दोस्तों और परिवार के हित साधने में लगे हैं। इस बीच, वे अमेरिकी नागरिकता और मूल्यों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
अमेरिका की सड़कों पर युद्ध
अब अमेरिका की सड़कों पर युद्ध का माहौल है, जो पहले कभी नहीं देखा गया। क्या यह किसी सभ्यता के पतन का एक उदाहरण है?