×

तमिलनाडु में जल संकट: अथिकाडवु-अविनाशी परियोजना पर किसानों की चिंताएं

तमिलनाडु के जल संसाधन विभाग ने अथिकाडवु-अविनाशी परियोजना के तहत जल संकट की पुष्टि की है। किसानों ने जल की कमी को लेकर चिंता जताई है, जबकि विभाग ने अगले मानसून में प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया है। जानें इस परियोजना के उद्देश्यों और किसानों की समस्याओं के बारे में।
 

जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट

चेन्नई: तमिलनाडु के जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) ने स्वीकार किया है कि अथिकाडवु-अविनाशी सिंचाई परियोजना के अंतर्गत कई जलाशयों में इस वर्ष पर्याप्त जल उपलब्ध नहीं हो सका। विभाग ने आश्वासन दिया है कि अगले मानसून में इन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।


परियोजना का उद्देश्य

यह प्रमुख परियोजना 17 अगस्त, 2024 को शुरू हुई, जिसका उद्देश्य भवानी नदी के अतिरिक्त जल को कोयंबटूर, तिरुपुर और इरोड जिलों में 1,045 जल निकायों को पुनः भरना है। इस परियोजना के तहत इस वर्ष वितरण के लिए 1.5 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसीएफटी) जल आवंटित किया गया था। हालांकि, कई किसानों ने जल की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की है।


किसानों की चिंताएं

किसानों का कहना है कि कई टैंकों और तालाबों में केवल आंशिक जल उपलब्ध हुआ है, जिससे खेती पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पोंगुपलयम यूनियन के तमिलनाडु किसान संघ के अध्यक्ष एस. अप्पुसामी ने बताया कि तिरुपुर जिले के उत्तरी हिस्सों में कई जल निकायों को अपनी क्षमता का मुश्किल से 10 प्रतिशत जल मिला है।


स्थायी समाधान की आवश्यकता

उन्होंने कहा, “अथिकाडवु-अविनाशी परियोजना लागू होने के बावजूद, कई गांवों में सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है। कोयंबटूर और इरोड जिलों के कुछ हिस्सों में भी ऐसी ही समस्याएं हैं। हमें एक स्थायी और न्यायसंगत समाधान की आवश्यकता है।”


डब्ल्यूआरडी का स्पष्टीकरण

इन चिंताओं का जवाब देते हुए, एक वरिष्ठ डब्ल्यूआरडी अधिकारी ने बताया कि यह परियोजना भवानी नदी के अतिरिक्त जल पर निर्भर करती है। अधिकारी ने कहा, “इस वर्ष, दक्षिण-पश्चिम मानसून जल्दी आया, और उपलब्ध अतिरिक्त जल पहले ही निकाल लिया गया और जुड़े हुए जल निकायों को आपूर्ति की गई। परियोजना के तहत लगभग 95 प्रतिशत टैंकों को जल मिला।”


तकनीकी समस्याएं

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि क्षतिग्रस्त पाइपलाइनों, रुकावटों और खराब आउटलेट प्रबंधन प्रणाली (ओएमएस) जैसी तकनीकी समस्याओं के कारण लगभग 5 प्रतिशत जल निकायों को पूरी तरह से जल नहीं मिल पाया। अधिकारी ने कहा, “इन समस्याओं ने कुछ क्षेत्रों में जल के प्रवाह को प्रभावित किया है, और सुधार के उपाय किए जा रहे हैं।”


भविष्य की संभावनाएं

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चालू वर्ष के लिए और जल छोड़ना संभव नहीं है क्योंकि आवंटित मात्रा पहले ही समाप्त हो चुकी है। अधिकारी ने कहा, “हमें विश्वास है कि अगले वर्ष फिर से पर्याप्त अतिरिक्त जल उपलब्ध होगा, क्योंकि पिछले तीन वर्षों से भवानी नदी में अच्छा जल आया है। जिन जल निकायों को इस बार अपर्याप्त जल मिला है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।”


किसानों की मांग

इस बीच, किसानों ने सरकार से समय पर नहरों का रखरखाव करने और जल का समान और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया है, ताकि इस परियोजना का पूरा लाभ उन सभी क्षेत्रों तक पहुंचे जहां इसकी आवश्यकता है।