तमिलनाडु में विजय की रैली के दौरान भगदड़: अदालत ने सीबीआई जांच की याचिका खारिज की
अदालत का निर्णय
मद्रास उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता उमा आनंदन द्वारा दायर याचिका को अस्वीकार कर दिया, जिसमें उन्होंने 27 सितंबर को करूर में अभिनेता से नेता बने विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ की सीबीआई जांच की मांग की थी। न्यायालय की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले की सुनवाई का अधिकार मदुरै पीठ के पास है, इसलिए याचिकाकर्ता को वहां जाना चाहिए। उमा आनंदन ने यह तर्क दिया कि इस घटना से जुड़े कई प्रश्न अनुत्तरित हैं और राज्य सरकार की लापरवाही इस दुर्घटना का कारण हो सकती है।
अदालत के सवाल
इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब न्यायमूर्ति एन. सेंथिलकुमार ने तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के जिला सचिव एन. सतीश कुमार की अग्रिम ज़मानत याचिका को भी खारिज कर दिया। अदालत ने इस दौरान पार्टी की भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता पर सवाल उठाए और विजय की रैली में समर्थकों के उपद्रवी व्यवहार, तोड़फोड़ और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मुद्दे को उठाया। पुलिस ने इस मामले में कुल नौ एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें कई पार्टी कार्यकर्ताओं को नामजद किया गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
घटना के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भाजपा और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा करूर में केवल चुनावी लाभ के लिए सक्रिय है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तमिलनाडु में तीन बड़ी आपदाएं आईं, तब केंद्र ने कोई मदद नहीं की और न ही कोई मंत्री यहां आए। स्टालिन ने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि मणिपुर, गुजरात और कुंभ मेले जैसी घटनाओं पर उन्होंने जांच आयोग नहीं भेजा, लेकिन करूर में तथ्यान्वेषी टीम भेजी जा रही है, जो उनके चुनावी इरादों को दर्शाता है।
भाजपा का जवाब
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने तमिलनाडु सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्टालिन को इस घटना की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से जल्द से जल्द विस्तृत रिपोर्ट पेश करने की मांग की। ठाकुर करूर का दौरा करने वाले भाजपा-एनडीए तथ्यान्वेषी दल का हिस्सा थे।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
कुल मिलाकर, करूर की भगदड़ ने न केवल कानून-व्यवस्था और राजनीतिक दलों की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं, बल्कि तमिलनाडु में राजनीतिक घमासान को भी तेज कर दिया है।