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तिरुपति लड्डू घोटाला: 50 लाख रुपये के लेनदेन ने खोली धार्मिक आस्था की पोल

तिरुपति लड्डू घोटाले ने धार्मिक आस्था को हिला दिया है। जांच में 50 लाख रुपये के लेनदेन और जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल का खुलासा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ी जांच के निर्देश दिए हैं। भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक माने जाने वाले लड्डुओं में मिलावट के इस मामले ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
 

तिरुपति लड्डू की पवित्रता पर सवाल


तिरुपति: भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक तिरुमला तिरुपति बालाजी मंदिर में हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यहां भक्तों को दिए जाने वाले लड्डू न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि मंदिर की पहचान भी माने जाते हैं। हाल ही में, इन लड्डुओं की पवित्रता पर सवाल उठे जब यह सामने आया कि इनमें जानवरों की चर्बी मिलाकर बनाया गया घी इस्तेमाल किया गया था। यह मामला इतना गंभीर हो गया कि इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया।


50 लाख रुपये का विवादास्पद लेनदेन

लेनदेन का खुलासा
इस विवाद की जांच के दौरान एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को घी की आपूर्ति के दौरान 50 लाख रुपये का लेनदेन हुआ था। यह राशि वाईवी सुब्बा रेड्डी, जो उस समय मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन और लोकसभा सांसद थे, के निजी सहायक के. चिन्नाप्पन्ना को दी गई थी।


पटेल नगर मेट्रो स्टेशन पर लेनदेन

हवाला के जरिए लेनदेन
जांच में यह भी पता चला कि यह राशि हवाला एजेंटों के माध्यम से भेजी गई थी। उत्तर प्रदेश की एग्री फूड्स प्राइवेट लिमिटेड ने यह पैसा भेजा था। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के एजेंट अमन गुप्ता ने पहले 20 लाख रुपये चिन्नाप्पन्ना को दिए, जबकि शेष राशि विजय गुप्ता नामक एक सीनियर एग्जीक्यूटिव ने सौंपी। दोनों बार यह लेनदेन दिल्ली के पटेल नगर मेट्रो स्टेशन के पास हुआ।


जांच में चार कंपनियों की संलिप्तता

संयुक्त जांच समिति की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित संयुक्त जांच समिति, जिसमें सीबीआई, राज्य पुलिस और फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारी शामिल थे, ने इस घोटाले की गहन जांच की। रिपोर्ट में यह सामने आया कि मंदिर को घी सप्लाई करने में चार कंपनियां शामिल थीं। इन कंपनियों ने टेंडर हासिल करने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी की और कीमतों में बदलाव किया।


घी में मिलावट का खुलासा

मिलावट की पुष्टि
जांच के अनुसार, लगभग 60.37 लाख किलो घी को 240.8 करोड़ रुपये में बेचा गया। यह घी मुख्य रूप से भोले बाबा ऑर्गैनिक डेयरी मिल्क प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया था, जिसमें पाम ऑयल और केमिकल्स का उपयोग किया गया था।


कंपनियों की गड़बड़ी

घी सप्लाई में अनियमितताएं
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि घी की आपूर्ति तीन अन्य कंपनियों के माध्यम से की गई। श्री वैष्णवी डेयरी ने ₹133.12 करोड़ में सप्लाई की, मालगंगा मिल्क एंड एग्रो प्रोडक्ट्स ने ₹73.18 करोड़ में और एआर डेयरी फूड्स ने ₹1.61 करोड़ के घी की सप्लाई की। इन सभी कंपनियों पर दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा और घटिया गुणवत्ता वाला घी सप्लाई करने के आरोप लगे हैं।


वैज्ञानिक रिपोर्ट का खुलासा

मिलावट की पुष्टि
मैसुरु स्थित सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा गया कि लड्डुओं में इस्तेमाल किया गया घी मिलावटी था। इसके बावजूद, संबंधित कंपनियों से घी की आपूर्ति 2024 तक जारी रही। इस खुलासे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मिलावट की पुष्टि के बावजूद सप्लाई बंद क्यों नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई में देरी क्यों हुई।


धार्मिक आस्था पर संकट

कानूनी कार्रवाई की मांग
तिरुपति लड्डू, जो भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक माने जाते हैं, में इस तरह की मिलावट के खुलासे ने देशभर में आक्रोश और निराशा फैला दी है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है, और अदालत ने कड़ी जांच और जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं। लोगों की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि इस घोटाले में शामिल लोगों पर कब और कैसी कार्रवाई होगी।