तुषार गांधी ने नागपुर में संविधान सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत की
संविधान सत्याग्रह पदयात्रा का आगाज
नागपुर : महात्मा गांधी के वंशज तुषार गांधी ने सोमवार को नागपुर में दीक्षाभूमि से 'संविधान सत्याग्रह पदयात्रा' की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि यह विरोध मार्च संघ परिवार के संगठनों द्वारा फैलाए जा रहे 'नफरत की राजनीति' के खिलाफ प्रेम का संदेश लेकर जाएगा। यह यात्रा 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में समाप्त होगी। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल भी इस पदयात्रा में शामिल हुए। तुषार गांधी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके सहयोगी संगठनों द्वारा फैलाई गई 'सांप्रदायिक नफरत' देश की एकता के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य संविधान को मजबूत करना और उसकी रक्षा करना है।
तुषार गांधी ने कहा कि हम संविधान को सुरक्षित रखने के लिए सत्याग्रह पदयात्रा कर रहे हैं। हम संघ और उसके सहयोगियों द्वारा समाज में फैलाई जा रही नफरत के खिलाफ प्रेम का संदेश लेकर जा रहे हैं, क्योंकि नफरत की वृद्धि देश की एकता के लिए हानिकारक होगी। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि यह पदयात्रा 'आरएसएस द्वारा रखी गई अस्पृश्यता और भेदभाव की विभाजनकारी नींव' को चुनौती देगी। उन्होंने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य सभी भारतीयों को संविधान और सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांतों को बनाए रखने में शामिल करना है। पदयात्रा से पहले, रविवार को नागपुर में एक मशाल मार्च भी निकाला गया।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख ने अपने कई पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ इस मार्च में भाग लिया। इस साल जुलाई में, तुषार गांधी ने राज्य की एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए 'बदलो बिहार नई सरकार' कार्यक्रम चलाया था। बिहार में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए, तुषार गांधी ने सभी से इंडिया ब्लॉक को मजबूत करने का आह्वान किया था, क्योंकि बिहार के लोगों में मौजूदा सरकार के प्रति 'काफी असंतोष' है। तुषार गांधी ने कहा कि नीतीश जी 20 साल से राजनीति में हैं और उन्होंने कई बार सत्ता का सुख भोगा है। लेकिन अब बदलाव आवश्यक है। लोकतंत्र में बदलाव अपरिहार्य है। नीतीश कुमार को एक बार घर वापसी भी कर लेनी चाहिए। हम सभी से इंडिया (गठबंधन) को मजबूत करने का आह्वान करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इंडिया (गठबंधन) में यह परंपरा रही है कि मुख्यमंत्री का चुनाव चुनाव नतीजों के बाद होता है। हमें एक विशेष चेहरे के साथ चुनाव लड़ने की आदत हो गई है। हमें याद रखना चाहिए कि हमने दलीय लोकतंत्र का मॉडल चुना है, जहां नेता का चुनाव नतीजों के बाद ही होता है। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होने वाले हैं।