तेजस्वी यादव ने वोटर लिस्ट में नाम न होने पर उठाए सवाल
बिहार में वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण
तेजस्वी यादव: बिहार में वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण का कार्य तेजी से चल रहा है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को वोटर लिस्ट का पहला ड्राफ्ट जारी किया, जिसके बाद मतदाताओं को अपने नाम की जांच और सुधार के लिए एक महीने का समय दिया गया है। इस बीच, बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने इस ड्राफ्ट को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग के इस पहले ड्राफ्ट में मेरा नाम नहीं है। जब मैंने अपना नाम चेक करने की कोशिश की, तो वहां 'कोई रिकॉर्ड नहीं मिला' का संदेश आया। ऐसे में जब वोटर लिस्ट में मेरा नाम ही नहीं है, तो मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?"
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, 'इस ड्राफ्ट में 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं, तो क्या इन लोगों को नोटिस दिया गया? क्या उन्हें समय दिया गया?' तेजस्वी ने यह भी बताया कि उनके स्टाफ के कई सदस्यों के नाम भी इस लिस्ट से गायब हैं। उन्होंने कहा, "इस ड्राफ्ट को देखने के बाद साफ दिख रहा है कि आयोग टारगेटेड काम कर रहा है। हम आयोग से जानना चाहते हैं कि वह पारदर्शिता क्यों नहीं रख पा रही है।"
बूथ स्तर पर डेटा की मांग
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से बूथ स्तर पर डेटा उपलब्ध कराने की मांग की है। वर्तमान में, आयोग ने डेटा केवल विधानसभा क्षेत्र के आधार पर जारी किया है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि किन 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं। तेजस्वी ने जोर देकर कहा, "मैं मांग करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले और चुनाव आयोग से जवाब मांगे।" उन्होंने इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया और आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा कि लोगों के नाम किस आधार पर हटाए गए।
पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता
तेजस्वी यादव के इन आरोपों ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके दावों ने मतदाता सूची की विश्वसनीयता और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। यह मामला अब न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकता है। तेजस्वी ने आयोग से तत्काल कार्रवाई और पारदर्शिता की मांग की है ताकि मतदाताओं का भरोसा कायम रहे।