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तेलंगाना में फोन टैपिंग कांड: चुनाव से पहले जासूसी का मामला

तेलंगाना में 2023 विधानसभा चुनावों से पहले एक गंभीर फोन टैपिंग कांड का खुलासा हुआ है, जिसमें लगभग 600 लोगों के फोन अवैध रूप से निगरानी में रखे गए। इस मामले में कई प्रमुख व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है, और बीआरएस ने आरोपों को राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया बताया है। जानें इस जासूसी कांड के पीछे की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव।
 

तेलंगाना में फोन टैपिंग का खुलासा

तेलंगाना में 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले एक गंभीर फोन टैपिंग स्कैंडल का मामला सामने आया है। हैदराबाद पुलिस की जांच में यह पता चला है कि नवंबर 2023 में राज्य की स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच की विशेष ऑपरेशन टीम ने लगभग 600 व्यक्तियों के फोन अवैध रूप से निगरानी में रखे थे। इनमें राजनेता, पत्रकार, चुनावी रणनीतिकार, व्यवसायी, पार्टी कार्यकर्ता और उनके परिवार के सदस्य शामिल थे। यह मामला भारतीय राजनीति में जासूसी के एक गंभीर अध्याय के रूप में उभरा है।


निगरानी की अवधि

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह निगरानी 16 से 30 नवंबर 2023 के बीच की गई, जब राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। अधिकारियों ने बताया कि यह गतिविधि 2018-19 से शुरू हुई थी, लेकिन चुनाव के समय इसे बड़े पैमाने पर अंजाम दिया गया। सर्विलांस का दायरा इतना व्यापक था कि ड्राइवरों और कर्मचारियों के फोन भी टैप किए गए थे।


मामले का खुलासा

पहली शिकायत


मार्च 2024 में इस अवैध फोन टैपिंग का पहला आरोप तब सामने आया जब SIB के एएसपी ने हैदराबाद के पंजागुट्टा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने तत्कालीन SIB डीएसपी प्रणीत राव पर अवैध खुफिया गतिविधियों का आरोप लगाया। इस शिकायत के बाद जांच शुरू हुई और कई विपक्षी नेताओं को पूछताछ के लिए बुलाया गया, जिनमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ और केंद्रीय मंत्री बंदी संजय कुमार शामिल हैं।


जांच और गिरफ्तारी

आरोपियों की सूची


अब तक इस मामले में छह प्रमुख व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें पूर्व SIB प्रमुख टी प्रभाकर राव, डीएसपी प्रणीत राव, एएसपी एम थिरुपथन्ना, एन भुजंगा राव, पूर्व डीसीपी टी राधा किशन राव और टीवी चैनल के मालिक एन श्रवण कुमार शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रभाकर राव और श्रवण कुमार को गिरफ्तारी से राहत दी है, जबकि अन्य चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।


बीआरएस की प्रतिक्रिया

आरोपों का खंडन


बीआरएस एमएलसी श्रवण कुमार दासोजू ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि यदि फोन इंटरसेप्शन हुआ भी, तो वह कानून के अनुसार उच्चस्तरीय समिति की अनुमति से हुआ होगा और बीआरएस पार्टी का इससे कोई संबंध नहीं है। जांच दल के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि SIB की स्पेशल ऑपरेशन टीम अक्सर सर्विलांस रिकॉर्ड नष्ट कर देती है, जिससे सबूत जुटाना कठिन हो रहा है।