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तेलंगाना में स्थानीय निकाय चुनाव: कांग्रेस और विपक्ष की परीक्षा

तेलंगाना में स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन होने जा रहा है, जो कांग्रेस की रेवंत रेड्डी सरकार और विपक्ष के लिए एक परीक्षा साबित होगा। चुनाव नौ अक्टूबर से शुरू होंगे और नवंबर तक चलेंगे। रेवंत रेड्डी के कार्यकाल का यह मध्यकाल है, जिसमें उनकी सरकार के कामकाज का आकलन होगा। दूसरी ओर, भारत राष्ट्र समिति को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर पार्टी के भीतर के विवादों के चलते। जानें इस चुनावी माहौल में क्या हो सकता है आगे।
 

तेलंगाना में चुनावी माहौल

तेलंगाना में कांग्रेस की रेवंत रेड्डी सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि स्थानीय निकाय चुनावों का आयोजन होने जा रहा है। ये चुनाव नौ अक्टूबर से शुरू होंगे और नवंबर तक चलेंगे, जिसमें सरपंच से लेकर मंडल परिषद तक के पदों के लिए मतदान होगा। रेवंत रेड्डी को मुख्यमंत्री बने हुए दो साल हो चुके हैं, और यह उनके कार्यकाल का मध्यकाल है। इस दौरान यह स्पष्ट होगा कि जनता उनके कार्यों को किस तरह से देखती है। उल्लेखनीय है कि रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस का चेहरा बनकर विपक्ष को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार भी दिया है।


भारत राष्ट्र समिति की चुनौतियाँ

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के लिए यह समय कठिनाईयों से भरा है। हाल ही में, पार्टी की सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर किया गया। इसके बाद उन्होंने एमएलसी पद से भी इस्तीफा दे दिया और नई पार्टी बनाने की योजना बना रही हैं। इस स्थिति में, बीआरएस को अपने अस्तित्व को बनाए रखने का यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन यह माना जा रहा है कि भाजपा और बीआरएस के बीच कुछ गुप्त समझौते हो सकते हैं, ताकि कांग्रेस को कमजोर किया जा सके। इसके अलावा, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया एमआईएम का प्रभाव केवल हैदराबाद तक सीमित है, लेकिन उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। निकाय चुनावों के साथ-साथ जुबली हिल्स विधानसभा सीट का उपचुनाव भी काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।