कोकबोरोक भाषा का महत्व
त्रिपुरा में आदिवासी छात्रों का समुदाय अपनी मातृभाषा 'कोकबोरोक' के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण आंदोलन चला रहा है। राज्य के एक प्रमुख छात्र संगठन ने कोकबोरोक को त्रिपुरा की राजभाषा का दर्जा देने की मांग को फिर से उठाया है और इसके लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। कोकबोरोक, जो कि त्रिपुरा के स्वदेशी आदिवासी समुदायों द्वारा बोली जाती है, उनकी सांस्कृतिक पहचान और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। छात्रों का मानना है कि यदि इसे आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया जाता है, तो न केवल इस भाषा का संरक्षण होगा, बल्कि आदिवासी समुदायों को शिक्षा, प्रशासन और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में बेहतर प्रतिनिधित्व और अवसर भी मिलेंगे। इस आंदोलन का उद्देश्य यह है कि किसी भी राज्य की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान किया जाना चाहिए। छात्र संगठन ने सरकार से इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करने और कोकबोरोक के लिए आवश्यक विधायी और प्रशासनिक कदम उठाने का अनुरोध किया है, ताकि यह त्रिपुरा की एक आधिकारिक और जीवंत भाषा के रूप में विकसित हो सके।