त्रिपुरा में बांग्लादेशी गैस टैंकर्स का विरोध: भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल
त्रिपुरा में बांग्लादेशी गैस टैंकर्स के खिलाफ स्थानीय लोगों का विरोध भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और भारत विरोधी बयानबाजी बढ़ी, तो जनता ने चुप्पी तोड़ते हुए बांग्लादेशी वाहनों को रोक दिया। जानें इस घटना के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
Dec 30, 2025, 11:48 IST
बांग्लादेशी गैस टैंकर्स का विरोध
त्रिपुरा में आठ बांग्लादेशी गैस टैंकर्स को रोका गया, जिसके बाद 'बांग्लादेशी वापस जाओ' के नारे गूंजने लगे। यह घटना भारत के धैर्य का टूटना, जनता का आक्रोश और उन लोगों के लिए एक स्पष्ट संदेश है जो भारत के खिलाफ अनर्गल बातें करते हैं। वर्तमान में बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक स्पष्ट है, जहां भारत विरोधी तत्व सक्रिय हैं। लेकिन भारत इस स्थिति का प्रभावी ढंग से सामना कर रहा है।
कट्टरपंथियों का उदय
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद, यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था, बल्कि कट्टरपंथियों का उदय था। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के आने के साथ, चीन, पाकिस्तान और अन्य कट्टरपंथी संगठनों ने बांग्लादेश को अपने प्रभाव में लेना शुरू किया। ये सभी भारत विरोधी एजेंडे से जुड़े हुए हैं। यूनुस की चीन यात्रा के दौरान उन्होंने पूर्वोत्तर के सात राज्यों का उल्लेख किया और बांग्लादेश को उनका 'गार्डियन' बताया।
भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर खतरा
यूनुस की चीन यात्रा के दौरान भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर गंभीर सवाल उठने लगे। इसी समय, पाकिस्तानी सेना के आईएसआई के शीर्ष कमांडर्स ढाका में सक्रिय थे। यह सब संयोग नहीं था। भारत ने समझ लिया कि बांग्लादेश की धरती अब भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बन रही है। त्रिपुरा, जो भारत का सबसे शांत राज्य माना जाता है, अब इस स्थिति का गवाह बन रहा है।
जनता का प्रतिरोध
जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और भारत विरोधी बयानबाजी बढ़ी, तो त्रिपुरा की जनता चुप नहीं रही। जीरानिया उपखंड और बोधक जंग नगर क्षेत्र में, स्थानीय लोगों ने बांग्लादेश से आ रहे आठ गैस टैंकर्स को रोक दिया। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, यह नाकाबंदी बांग्लादेशी वाहनों को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश से रोकने के लिए की गई थी।
प्रदर्शन का कारण
प्रदर्शनकारियों ने हालिया राजनीतिक तनाव और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर हुए हमलों को अपने विरोध का मुख्य कारण बताया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में बांग्लादेशी वाहनों को भारत में प्रवेश देना अस्वीकार्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीमा पार अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। इस नाकाबंदी का उद्देश्य इन घटनाओं के खिलाफ एक कड़ा संदेश देना था।